Spread the love

by-Ravindra Sikarwar

ग्वालियर – नगर निगम ग्वालियर में भ्रष्टाचार की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से भ्रष्ट गतिविधियाँ खुलेआम संचालित हो रही हैं। हाल ही में एक प्रमुख समाचार पोर्टल द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के बावजूद, संबंधित विभागों की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, जिससे संदेह और भी गहरा गया है कि उच्च अधिकारियों की भूमिका भी इस पूरे मामले में संदिग्ध है।

प्रभुदयाल बाथम का जाति प्रमाण पत्र सवालों के घेरे में
नगर निगम के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी प्रभुदयाल बाथम की शैक्षणिक योग्यता और जाति प्रमाण पत्र को लेकर कई प्रश्न उठ खड़े हुए हैं। जब एक पत्रकार ने सूचना का अधिकार (RTI) के माध्यम से दस्तावेज़ों की जांच करवाई, तो यह स्पष्ट हुआ कि बाथम की मार्कशीट और जाति प्रमाण पत्र में असंगतियाँ हैं। बताया गया है कि बाथम वास्तव में ओबीसी वर्ग से संबंधित हैं, लेकिन उन्होंने एसटी वर्ग का जाति प्रमाण पत्र शासन को प्रस्तुत किया है।

प्रशासनिक निष्क्रियता बनी सवालिया निशान
इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल जांच कर आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इससे यह संदेह और भी प्रबल हो गया है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारी स्वयं इस कृत्य में संरक्षण प्रदान कर रहे हैं या फिर जानबूझकर मामले को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।

जांच की मांग, या ‘समझौता’?
अब देखने वाली बात यह होगी कि उच्च स्तर के अधिकारी इस मामले में निष्पक्ष जांच करवाते हैं या फिर किसी ‘समझौते’ के तहत इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। ग्वालियर नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक, सभी किसी न किसी रूप में इस तंत्र का हिस्सा बन चुके हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp