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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भयावह आतंकी हमले के बाद देशभर में उबाल देखा जा रहा है। इसी संदर्भ में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की प्रसिद्ध फूड स्ट्रीट ‘छप्पन दुकान’ पर लगे एक पोस्टर ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है।

विवादित संदेश और तस्वीर
छप्पन दुकान पर स्थित एक फूड स्टॉल के बाहर लगाया गया पोस्टर चर्चा का विषय बन गया है। पोस्टर पर लिखा है —
“छप्पन दुकान में सूअरों और पाकिस्तानी नागरिकों का प्रवेश वर्जित है।”
इसके साथ पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर की एक मॉर्फ की गई तस्वीर भी लगाई गई है, जिसमें उनका चेहरा सूअर से मिलता-जुलता बनाया गया है। यह तस्वीर देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, और वहां सेल्फी लेने वालों की भीड़ लग गई।

स्थानीय व्यापारियों का बयान
छप्पन दुकान व्यापार संघ की अध्यक्ष गुंजन शर्मा ने बताया कि यह कदम पाकिस्तान द्वारा भारत पर लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों के विरोध में उठाया गया है। शर्मा ने कहा, “हमारे सैनिक और नागरिक लगातार पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का शिकार हो रहे हैं। यह पोस्टर विरोध का प्रतीक है। हम प्रधानमंत्री मोदी से कठोर कदम की अपेक्षा करते हैं।”

एकजुटता का प्रदर्शन
फूड स्ट्रीट के कई दुकानदारों और कर्मचारियों ने हमले के विरोध में काली पट्टियां बांधकर काम किया। उनका कहना है कि यह कदम उन 26 निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए उठाया गया है, जो पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए।

वकील ने की करोड़ों के इनाम की घोषणा
इंदौर के वरिष्ठ अधिवक्ता लोकेश मंगल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर ऐलान किया है कि “अगर कोई भारतीय नागरिक या सैनिक उन आतंकवादियों को मार गिराता है, जो इस हमले में शामिल थे, तो उसे एक करोड़ रुपये का इनाम दिया जाएगा।”

इतना ही नहीं, मंगल ने यह भी कहा कि यदि 100 आतंकवादी मारे जाते हैं, तो वह 100 करोड़ रुपये देने को तैयार हैं। उन्होंने सरकार से भी अनुरोध किया कि देश की सुरक्षा के लिए लिए गए टैक्स का सही उपयोग किया जाए। इसके साथ ही मंगल ने राष्ट्र की रक्षा में लगे किसी भी व्यक्ति को निःशुल्क कानूनी सहायता देने का भी वादा किया।

कानूनी और सामाजिक सवाल
इस पोस्टर को लेकर कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का संदेश समाज में वैमनस्य पैदा कर सकता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 153A और 295A के तहत यदि कोई समुदाय विशेष को अपमानित करने या दुश्मनी फैलाने का प्रयास करता है, तो वह दंडनीय अपराध हो सकता है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं अभी तक नहीं आईं
हालांकि इस पूरे घटनाक्रम पर किसी बड़े राजनेता या प्रशासनिक अधिकारी की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन इस घटना ने यह ज़रूर दिखा दिया कि आम जनता का गुस्सा अब खुलकर सामने आने लगा है।

पृष्ठभूमि: पहलगाम आतंकी हमला
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकवादी हमले में 26 नागरिकों की मृत्यु हुई और कई घायल हो गए। हमले की जिम्मेदारी फिलहाल किसी भी संगठन ने नहीं ली है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां इसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का हिस्सा मान रही हैं।

निष्कर्ष
इंदौर में सामने आई यह घटना केवल एक स्थानीय विरोध नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि देश का आम नागरिक अब केवल सरकार पर निर्भर नहीं रहना चाहता। चाहे वह भावनात्मक प्रतिक्रिया हो या प्रतीकात्मक प्रदर्शन — यह प्रकरण भारत में बढ़ते असंतोष और राष्ट्रवाद के नए रूप को दर्शाता है।

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