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दमोह: मध्य प्रदेश के दमोह जिले में लंबे समय से विवादों में घिरा मिशन अस्पताल अब बंद होने जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने फर्जी डॉक्टर से जुड़े विवाद के बाद अस्पताल का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। विभाग के आदेशानुसार, अस्पताल को अगले तीन दिनों के भीतर पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा।

यह अस्पताल एक ईसाई मिशनरी संगठन द्वारा संचालित है। हाल ही में, डॉ. एन जान केम उर्फ नरेंद्र विक्रमादित्य यादव नामक एक व्यक्ति के फर्जी डॉक्टर के रूप में सामने आने और उसके द्वारा कथित तौर पर हृदय की सर्जरी किए जाने के बाद यह अस्पताल राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया था। आरोप है कि इस फर्जी डॉक्टर द्वारा की गई सर्जरी के कारण सात मरीजों की जान चली गई, जिसके बाद प्रशासन ने इस मामले में सख्त कार्रवाई शुरू कर दी।

लाइसेंस नवीनीकरण में पाई गई गड़बड़ी:
जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश जैन ने इस कार्रवाई की जानकारी देते हुए बताया कि मिशन अस्पताल का लाइसेंस 31 मार्च 2025 को ही समाप्त हो गया था। नियमों के अनुसार, अस्पताल को लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना आवश्यक था। मिशन अस्पताल ने आवेदन तो किया, लेकिन उसमें कई गंभीर त्रुटियां और कमियां पाई गईं। इन अनियमितताओं के कारण ही स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने का निर्णय लिया।

मरीजों को किया जाएगा अन्यत्र स्थानांतरित:
डॉ. जैन ने आगे बताया कि अस्पताल प्रबंधन को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे अगले तीन दिनों के भीतर अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों को डिस्चार्ज करें। यदि कोई मरीज गंभीर स्थिति में है और उसे तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है, तो उसे तुरंत जिला अस्पताल में स्थानांतरित किया जाए। स्वास्थ्य विभाग यह सुनिश्चित कर रहा है कि अस्पताल बंद होने की प्रक्रिया में किसी भी मरीज के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

लंबे समय से विवादों का केंद्र:
मिशन अस्पताल पिछले कई दिनों से राष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ था। कथित फर्जी डॉक्टर की पहचान और उसके द्वारा बिना किसी वैध चिकित्सा डिग्री के किए गए जटिल ऑपरेशन ने न केवल दमोह जिले, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। मृतकों के शोक संतप्त परिवारों ने इस अस्पताल के प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की थी।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई इस लाइसेंस निलंबन की कार्रवाई को पीड़ित परिवारों ने राहत की सांस के तौर पर देखा है। उन्होंने इसे “देर से उठाया गया, लेकिन सही कदम” बताया है। फिलहाल, स्थानीय पुलिस और प्रशासन इस मामले में आगे की कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने में जुट गए हैं, ताकि दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जा सके। इस घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं में व्याप्त खामियों और लापरवाही के प्रति प्रशासन की सख्ती को दर्शाया है।

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