
मध्य प्रदेश विधानसभा बजट सत्र के पांचवे दिन विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए मऊगंज और मंडला में हुई घटनाओं का मुद्दा उठाया। कांग्रेस विधायकों ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि प्रदेश में जंगलराज कायम हो गया है। इस पर नाराज कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर विरोध जताया। उनका आरोप था कि सरकार इन घटनाओं पर उचित कार्रवाई नहीं कर रही है।
कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने मऊगंज में एएसआई की हत्या और युवक की मौत को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। वहीं, मंडला के फेक एनकाउंटर पर भी भूरिया ने सवाल उठाए, उनका कहना था कि यह सब केवल सरकार के लक्ष्य पूरे करने और पदक हासिल करने के लिए किया जा रहा है।
मऊगंज के गड़रा गांव में हुए एएसआई की हत्या के बाद गांव में तनाव फैल गया है। पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए 100 पुलिसकर्मियों की तैनाती की है और इलाके में धारा 163 लागू कर दी गई है। पुलिस ने घटना में शामिल कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। शनिवार को गड़रा गांव में एक युवक सनी द्विवेदी को बंधक बनाकर पीटा गया था। उसे बचाने पहुंचे पुलिस अधिकारियों पर भी हमला हुआ, जिसमें एक एएसआई रामचरण गौतम की मौत हो गई और कई पुलिसकर्मी घायल हुए।
यह विवाद दो महीने पहले हुए एक सड़क हादसे से जुड़ा हुआ था, जिसमें अशोक कुमार की मौत हो गई थी। परिवार ने इसे हादसा नहीं मानते हुए सनी पर हत्या का आरोप लगाया था। इसके बाद जमीन विवाद के चलते यह हिंसा भड़क उठी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस घटना पर दुख जताया और मामले की जांच के लिए डीजीपी को निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने शहीद एएसआई रामचरण गौतम के परिजनों को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा भी की।
इसके अलावा, इंदौर में पुलिस और वकील के बीच हुए विवाद और भोपाल में दो युवकों की हत्या ने कानून व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए हैं। पुलिस पर हमले और बढ़ती हिंसक प्रवृत्तियों के बीच, पूर्व पुलिस महानिदेशक एन के त्रिपाठी और स्वराज पुरी ने सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया है। उनका कहना था कि ऐसे मामलों में पुलिस को कानून का पालन कराना चाहिए, और नागरिकों को सिविक सेंस सिखाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।