
नई दिल्ली में ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस: महिला शक्ति का प्रदर्शन
पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में भारतीय सेना की एयर स्ट्राइक के बाद, एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। भारतीय इतिहास में यह पहली बार था जब इस तरह की ब्रीफिंग में वायुसेना और थलसेना की एक-एक मुस्लिम और हिंदू महिला अधिकारी एक साथ मौजूद थीं। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में, कर्नल सोफिया कुरैशी ने हिंदी में मीडिया को संबोधित किया और सटीक हमलों के माध्यम से नष्ट किए गए आतंकवादी ठिकानों की विस्तृत जानकारी दी। उनके साथ विंग कमांडर व्योमिका सिंह भी थीं, जिन्होंने अंग्रेजी में जानकारी साझा की। यह ब्रीफिंग लगभग 25 मिनट तक चली, जो कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की अवधि के समान ही थी।
पहलगाम हमले का बदला और सरकार का कड़ा संदेश
विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह द्वारा मीडिया को संबोधित करना, पहलगाम आतंकी हमले पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया (‘ऑपरेशन सिंदूर’) के संबंध में भारत सरकार के एक मजबूत संदेश को दर्शाता है। तीनों अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवादियों का इरादा 22 अप्रैल के हमले के माध्यम से सांप्रदायिक तनाव भड़काना था, लेकिन भारत पूरी तरह से सतर्क और जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है।
कर्नल सोफिया कुरैशी: एक प्रतिष्ठित सैन्य अधिकारी
44 वर्षीय कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना के सिग्नल कोर की एक सम्मानित अधिकारी हैं। उन्होंने अपेक्षाकृत कम उम्र में ही भारतीय सेना और देश की महिलाओं के लिए कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।
- बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी: मार्च 2016 में, कर्नल कुरैशी ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ नामक एक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना की एक टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। यह अभ्यास भारत द्वारा आयोजित सबसे बड़े विदेशी सैन्य अभ्यासों में से एक था, जिसमें भारत, जापान, चीन, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, कोरिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और आसियान देशों सहित 18 टुकड़ियों ने भाग लिया था। लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में, कर्नल कुरैशी इस अभ्यास में एक टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली एकमात्र महिला अधिकारी थीं।
- संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सेवा: कर्नल कुरैशी ने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन (UN Peace Mission) में भी अपनी सेवाएं दीं। इस महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें देश के कई शांति प्रशिक्षकों में से चुना गया था और वह 2010 से शांति अभियानों से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं।
कर्नल कुरैशी की उपलब्धियों पर गर्व और युवा महिलाओं के लिए प्रेरणा
अपनी उपलब्धियों के बारे में पूछे जाने पर, कर्नल कुरैशी ने गर्व व्यक्त किया और सशस्त्र बलों में शामिल होने की इच्छुक युवा महिलाओं को देश के लिए कड़ी मेहनत करने और सभी को गौरवान्वित करने का संदेश दिया।
जनरल बिपिन रावत की प्रशंसा
दक्षिणी कमान के तत्कालीन सेना कमांडर, स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत (जो बाद में सेना प्रमुख और भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने) ने कर्नल कुरैशी की नेतृत्व क्षमता और समर्पण की सराहना की थी। उन्होंने कहा था कि सेना समान अवसर और समान जिम्मेदारी में विश्वास करती है और पुरुष व महिला अधिकारियों के बीच कोई भेदभाव नहीं है। कर्नल कुरैशी को उनकी क्षमता और नेतृत्व गुणों के कारण चुना गया था, न कि केवल इसलिए कि वह एक महिला हैं।
पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा
कर्नल कुरैशी गुजरात से हैं और उनके पास बायोकेमिस्ट्री में स्नातकोत्तर की डिग्री है। उनका परिवार सैन्य पृष्ठभूमि से है, उनके दादा भारतीय सेना में सेवारत थे। उनकी शादी मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री के एक अधिकारी से हुई है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मान्यता
कर्नल सोफिया कुरैशी उन 11 महिला अधिकारियों में से एक थीं जिनका उल्लेख सर्वोच्च न्यायालय ने सेना के शीर्ष पदों पर लैंगिक समानता के ऐतिहासिक फैसले (2020) में विशेष रूप से किया था। न्यायालय ने महिलाओं को कमांड नियुक्तियां देने के खिलाफ सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए इन महिला अधिकारियों की उपलब्धियों को सराहा था और कहा था कि भारतीय सेना की महिला अधिकारियों ने बल को गौरवान्वित किया है, जिसमें कर्नल कुरैशी भी शामिल हैं।
निष्कर्ष
कर्नल सोफिया कुरैशी न केवल एक प्रतिष्ठित सैन्य अधिकारी हैं, बल्कि भारतीय महिलाओं की शक्ति और क्षमता का भी प्रतीक हैं। ऑपरेशन सिंदूर की महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनकी उपस्थिति और प्रभावी संबोधन ने न केवल पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया, बल्कि देश की युवा पीढ़ी, विशेषकर महिलाओं को भी प्रेरित किया। उनकी उपलब्धियां भारतीय सेना में लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं और उनकी कहानी समर्पण, साहस और नेतृत्व का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।