
रायपुर: छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश में दर्ज कथित झारखंड शराब घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी है। राज्य सरकार ने इस संबंध में केंद्र सरकार को सिफारिश भी भेज दी है। जानकारी के अनुसार, झारखंड शराब घोटाले से जुड़े तमाम दस्तावेज दिल्ली स्थित CBI मुख्यालय पहुंच चुके हैं।
लगभग 450 करोड़ रुपये के इस कथित शराब घोटाले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी जांच के घेरे में हैं। इसके साथ ही झारखंड और छत्तीसगढ़ के कई आईएएस अधिकारियों के नाम भी इस घोटाले में शामिल बताए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि CBI जल्द ही इस मामले में अपनी विस्तृत जांच शुरू कर सकती है।
इससे पहले, इस मामले की जांच छत्तीसगढ़ के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की टीम कर रही थी। हालांकि, EOW को झारखंड सरकार से इस जांच में किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं मिल पा रहा था।
EOW ने जारी किया था नोटिस, नहीं मिला सहयोग:
जांच के सिलसिले में छत्तीसगढ़ EOW ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व सचिव आईएएस विनय कुमार चौबे और पूर्व आबकारी आयुक्त गजेंद्र सिंह को पूछताछ के लिए नोटिस भी जारी किया था। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार से अभियोजन की स्वीकृति भी मांगी गई थी। लेकिन झारखंड सरकार ने EOW के तमाम पत्रों का कोई जवाब नहीं दिया। इसी असहयोग के चलते छत्तीसगढ़ सरकार ने अब इस मामले की जांच CBI से कराने की अनुशंसा कर दी है। माना जा रहा है कि CBI अब इस मामले में जांच शुरू करने में बिल्कुल भी देर नहीं करेगी।
छत्तीसगढ़ और झारखंड शराब घोटाले का पैटर्न एक जैसा:
आरोप है कि जिस तरह छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को अंजाम दिया गया, ठीक उसी पैटर्न पर झारखंड में भी यह घोटाला हुआ। इस बात का खुलासा एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की एफआईआर से हुआ है। यह एफआईआर पिछले साल 7 सितंबर को दर्ज की गई थी। रायपुर EOW-ACB में दर्ज एफआईआर में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व सचिव आईएएस विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त सचिव आबकारी विभाग गजेंद्र सिंह के नाम भी शामिल हैं। इनके अलावा, कई अन्य आईएएस अधिकारी और छत्तीसगढ़ के शराब माफिया से जुड़े लोगों के नाम भी एफआईआर में दर्ज किए गए थे।
शराब सिंडिकेट के अनुसार बनी नीति:
आरोप है कि झारखंड में हुए शराब घोटाले में वही लोग शामिल हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को अंजाम दिया था। यह भी आरोप है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सचिव रहे आईएएस विनय कुमार चौबे और गजेंद्र सिंह ने छत्तीसगढ़ के अधिकारियों और शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर वैसी ही शराब नीति बनाई, जैसी छत्तीसगढ़ में बनाई गई थी। इस नीति का सीधा लाभ शराब सिंडिकेट को मिलना था। एफआईआर के अनुसार, टेंडर की शर्तें भी इसी तरह से रखी गई थीं जो शराब सिंडिकेट के लिए फायदेमंद हों।
छत्तीसगढ़ सरकार के इस फैसले से झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि अब केंद्रीय एजेंसी CBI इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच करेगी, जिससे कई बड़े खुलासे होने की संभावना है।