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by-Ravindra Sikarwar

केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है कि उसका प्राथमिक लक्ष्य देश के गरीब और मध्यम वर्ग के नागरिकों को सशक्त बनाना है। इस दिशा में सरकार विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों पर काम कर रही है, जिनका उद्देश्य इन वर्गों के जीवन स्तर में सुधार लाना, उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। यह बयान सरकार की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है जो समावेशी विकास और सामाजिक न्याय पर केंद्रित है।

गरीबों के लिए सरकारी पहलें:
सरकार गरीब तबके को सशक्त बनाने के लिए कई मोर्चों पर काम कर रही है:

  • खाद्य सुरक्षा: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) जैसी पहलें यह सुनिश्चित करती हैं कि देश में कोई भी गरीब भूखा न रहे। इसके तहत करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताएं पूरी हो सकें।
  • आवास: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में गरीबों को किफायती आवास प्रदान कर रही है। इसका उद्देश्य सभी बेघर परिवारों को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए छत उपलब्ध कराना है।
  • स्वास्थ्य सेवाएँ: आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के तहत गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलता है। यह योजना उन्हें गंभीर बीमारियों के वित्तीय बोझ से बचाती है।
  • वित्तीय समावेशन: जन धन योजना ने करोड़ों गरीबों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा है, जिससे वे सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ उठा सकें और वित्तीय सेवाओं तक उनकी पहुँच बढ़ सके।

मध्यम वर्ग के लिए फोकस:
केंद्र सरकार ने मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं और चुनौतियों को भी पहचाना है। इस वर्ग को सशक्त बनाने के लिए निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है:

  • आर्थिक स्थिरता: मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है ताकि मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति बनी रहे और उनकी बचत प्रभावित न हो।
  • शिक्षा और कौशल विकास: नई शिक्षा नीति (NEP) और विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और रोजगारोन्मुखी कौशल प्रदान किए जा रहे हैं। इससे उन्हें बेहतर करियर के अवसर मिल सकें।
  • बुनियादी ढाँचा: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सड़कों, सार्वजनिक परिवहन, बिजली आपूर्ति और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसे बुनियादी ढाँचे के विकास पर भारी निवेश किया जा रहा है। इससे जीवन की गुणवत्ता सुधरती है और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।
  • कर में राहत और निवेश के अवसर: सरकार समय-समय पर कर नीतियों में ऐसे बदलाव करती है जिनसे मध्यम वर्ग को कुछ राहत मिल सके। साथ ही, उन्हें निवेश और उद्यमशीलता के लिए अनुकूल माहौल प्रदान किया जाता है।
  • डिजिटल सशक्तिकरण: डिजिटल इंडिया पहल के तहत सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे मध्यम वर्ग को आसानी से और पारदर्शी तरीके से सेवाओं का लाभ मिल सके, और ‘ईज ऑफ लिविंग’ बेहतर हो।

समावेशी विकास की ओर:
सरकार का यह जोर गरीब और मध्यम वर्ग को सशक्त बनाने पर इसलिए है क्योंकि ये दोनों वर्ग देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। गरीबों को ऊपर उठाने से समाज में असमानता कम होती है, जबकि मध्यम वर्ग के सशक्त होने से उपभोग बढ़ता है, निवेश को बढ़ावा मिलता है और आर्थिक विकास को गति मिलती है।

केंद्र सरकार का लक्ष्य: गरीब और मध्यम वर्ग को सशक्त बनाना – चुनौतियाँ और समाधान
जैसा कि हमने चर्चा की, केंद्र सरकार का प्राथमिक लक्ष्य देश के गरीब और मध्यम वर्ग के नागरिकों को सशक्त बनाना है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के मार्ग में कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए विभिन्न रणनीतियों और पहलों को अपना रही है।

गरीब और मध्यम वर्ग को सशक्त बनाने में प्रमुख चुनौतियाँ:

  1. गरीबी का दुष्चक्र:
    • चुनौती: भारत में अभी भी एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। निम्न आय, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच, बेरोजगारी और कुपोषण का यह दुष्चक्र उन्हें गरीबी से बाहर नहीं निकलने देता। बढ़ती जनसंख्या भी संसाधनों पर दबाव डालती है।
    • समाधान की चुनौती: सिर्फ योजनाएं बनाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना कि उनका लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे, एक बड़ी चुनौती है। भ्रष्टाचार, जागरूकता की कमी और प्रशासनिक अक्षमता इसे बाधित कर सकती है।
  2. रोजगार सृजन और गुणवत्ता:
    • चुनौती: देश में रोजगार के अवसर पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं, खासकर संगठित क्षेत्र में। साथ ही, कई उपलब्ध रोजगार भी कम गुणवत्ता वाले या अनौपचारिक क्षेत्र के होते हैं, जहाँ स्थिर आय और सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है।
    • समाधान की चुनौती: बढ़ती युवा आबादी के लिए पर्याप्त और सम्मानजनक रोजगार के अवसर पैदा करना एक सतत चुनौती है, खासकर जब अर्थव्यवस्था में स्वचालन (automation) बढ़ रहा हो।
  3. बढ़ती महंगाई और क्रय शक्ति:
    • चुनौती: खाद्य पदार्थ, ईंधन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती कीमतें मध्यम वर्ग की जेब पर भारी पड़ रही हैं। वेतन वृद्धि अक्सर महंगाई के अनुपात में नहीं होती, जिससे उनकी बचत और क्रय शक्ति प्रभावित होती है।
    • समाधान की चुनौती: महंगाई को नियंत्रित करना, विशेषकर खाद्य मुद्रास्फीति को, सरकार के लिए एक कठिन कार्य है, क्योंकि यह वैश्विक कारकों से भी प्रभावित होती है।
  4. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य तक पहुँच:
    • चुनौती: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (विशेषकर उच्च शिक्षा) और स्वास्थ्य सेवाएँ महंगी होती जा रही हैं, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के लिए इन तक पहुंच बनाना मुश्किल हो जाता है। सरकारी संस्थानों में भीड़ और गुणवत्ता की चिंताएं भी मौजूद हैं।
    • समाधान की चुनौती: सभी के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करना एक विशाल कार्य है, जिसके लिए बड़े पैमाने पर निवेश और प्रभावी वितरण प्रणाली की आवश्यकता है।
  5. सामाजिक और क्षेत्रीय असमानताएँ:
    • चुनौती: समाज में अभी भी जाति, लिंग और क्षेत्र के आधार पर असमानताएँ मौजूद हैं, जो कुछ वर्गों को अवसरों से वंचित करती हैं। शहरी-ग्रामीण विभाजन और विभिन्न राज्यों के बीच विकास का असमान स्तर भी एक चुनौती है।
    • समाधान की चुनौती: समावेशी विकास सुनिश्चित करना ताकि समाज के सभी तबकों और क्षेत्रों को विकास का लाभ मिले, एक जटिल सामाजिक-आर्थिक चुनौती है।
  6. वित्तीय बोझ और ऋण:
    • चुनौती: मध्यम वर्ग अक्सर आवास, शिक्षा और अन्य ज़रूरतों के लिए ऋण पर निर्भर रहता है। बढ़ती ब्याज दरें और ईएमआई का दबाव उनकी वित्तीय सुरक्षा को कम करता है।
    • समाधान की चुनौती: घरेलू ऋण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करना और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

सरकार इन चुनौतियों से कैसे निपट रही है?

केंद्र सरकार इन चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपना रही है:

  1. प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) और JAM ट्रिनिटी:
    • समाधान: ‘जन धन-आधार-मोबाइल (JAM)’ ट्रिनिटी का उपयोग करके, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुँचे, जिससे भ्रष्टाचार और लीकेज कम हो। PMGKAY, PMAY, PMJAY जैसी योजनाएं इसी सिद्धांत पर काम करती हैं।
    • परिणाम: पारदर्शिता बढ़ी है और वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंच सुनिश्चित हुई है।
  2. कौशल विकास और रोजगार प्रोत्साहन:
    • समाधान: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), राष्ट्रीय कैरियर सेवा (NCS) और आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (ABRY) जैसी पहलें युवाओं को रोजगारोन्मुखी कौशल प्रदान कर रही हैं और नियोक्ताओं को नए रोजगार सृजित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
    • परिणाम: युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिल रहे हैं और उद्यमिता को बढ़ावा मिल रहा है।
  3. महंगाई नियंत्रण और वित्तीय सुधार:
    • समाधान: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के साथ मिलकर सरकार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए नीतियां बनाती है। कर नीतियों में सुधार और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाई जा रही है, जो मध्यम वर्ग को राहत देने में मदद करती है।
    • परिणाम: पिछले कुछ समय से मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित करने में सफलता मिली है।
  4. शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश:
    • समाधान: नई शिक्षा नीति (NEP) शिक्षा के सभी स्तरों पर गुणवत्ता में सुधार और पहुंच बढ़ाने पर केंद्रित है। आयुष्मान भारत योजना और जन औषधि केंद्रों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता और सुलभ बनाया जा रहा है।
    • परिणाम: शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक गरीबों और मध्यम वर्ग की पहुंच बढ़ रही है।
  5. बुनियादी ढाँचा विकास:
    • समाधान: पीएम गतिशक्ति योजना के तहत मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी, राजमार्गों, रेलवे, हवाई अड्डों और शहरी बुनियादी ढाँचे में बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है। यह न केवल रोजगार सृजित करता है बल्कि जीवन की सुगमता को भी बढ़ाता है।
    • परिणाम: बेहतर कनेक्टिविटी और बुनियादी ढाँचा आर्थिक विकास को गति दे रहा है।
  6. उद्यमिता और व्यवसाय सहायता:
    • समाधान: ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘स्टैंडअप इंडिया’ और ‘मुद्रा योजना’ जैसी पहलें छोटे व्यवसायों और उद्यमियों को वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन प्रदान कर रही हैं। ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ जैसी योजनाएं स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा दे रही हैं।
    • परिणाम: स्वरोजगार और नए व्यवसायों को प्रोत्साहन मिल रहा है, जिससे रोजगार सृजन में भी मदद मिलती है।

केंद्र सरकार समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इन चुनौतियों का सक्रिय रूप से सामना कर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश के गरीब और मध्यम वर्ग को सशक्त किया जा सके और उन्हें विकास की मुख्य धारा में लाया जा सके। यह एक सतत प्रक्रिया है जिसमें निरंतर सुधार और नई रणनीतियों की आवश्यकता होती है।

केंद्र सरकार का यह दृष्टिकोण समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि विकास का लाभ समाज के हर तबके तक पहुँचे और कोई भी पीछे न छूटे।

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