by-Ravindra Sikarwar
नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। केंद्र सरकार कथित तौर पर उनके खिलाफ संसद में महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने के विकल्पों पर विचार कर रही है। यह कदम तब उठाया जा रहा है जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक आंतरिक जांच समिति ने न्यायमूर्ति वर्मा को ‘अघोषित नकदी’ रखने का दोषी पाया है। यह मामला न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही पर एक बार फिर गंभीर सवाल उठा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
यह पूरा मामला 14 मार्च 2025 को सामने आया, जब न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर आग लगने की घटना हुई। अग्निशमन कर्मियों को आग बुझाने के दौरान उनके आवास से भारी मात्रा में जली हुई और अधजली नकदी की गड्डियां मिली थीं। इस घटना के समय न्यायमूर्ति वर्मा अपनी पत्नी के साथ दिल्ली से बाहर मध्य प्रदेश में थे, जबकि घर पर उनकी बेटी और वृद्ध मां मौजूद थीं। इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें जलती हुई नकदी के बंडल दिखाई दे रहे थे, जिसने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।
सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच और उसके निष्कर्ष:
मामले की गंभीरता को देखते हुए, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने 22 मार्च को एक तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिति का गठन किया। इस समिति में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधवालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थीं।
समिति ने 25 मार्च को अपनी जांच शुरू की और 4 मई को अपनी रिपोर्ट तत्कालीन CJI खन्ना को सौंपी। इस रिपोर्ट में समिति ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ ‘अघोषित नकदी’ से जुड़े आरोपों को सही पाया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने हाल ही में एक आरटीआई (RTI) याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें इस जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की गई थी, गोपनीयता और संसदीय विशेषाधिकारों का हवाला देते हुए।
इस्तीफे से इनकार और तबादला:
सूत्रों के अनुसार, जांच रिपोर्ट मिलने के बाद तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति वर्मा से इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। इसके बाद, CJI खन्ना ने 8 मई को समिति की रिपोर्ट और न्यायमूर्ति वर्मा के जवाब के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर महाभियोग की सिफारिश की।
मामला सामने आने के बाद, न्यायमूर्ति वर्मा को दिल्ली उच्च न्यायालय से हटा दिया गया था, जहां वे तब कार्यरत थे। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 24 मार्च को उन्हें उनके मूल कैडर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने की सिफारिश की। 5 अप्रैल को उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में शपथ तो ली, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्हें फिलहाल कोई न्यायिक कार्य आवंटित नहीं किया गया है।
महाभियोग की प्रक्रिया और आगे की राह:
भारत में उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को केवल ‘सिद्ध कदाचार’ (proved misbehaviour) या ‘अक्षमता’ (incapacity) के आधार पर ही हटाया जा सकता है। इसकी प्रक्रिया न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 और संविधान के अनुच्छेद 124(4) एवं 217 के तहत निर्धारित है।
- पहला चरण: महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में लाया जा सकता है। लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों और राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं।
- दूसरा चरण: यदि पीठासीन अधिकारी (लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति) प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते हैं, तो आरोपों की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जाता है। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश, किसी उच्च न्यायालय के एक मुख्य न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित न्यायविद् शामिल होते हैं।
- तीसरा चरण: यदि समिति न्यायाधीश को दोषी पाती है, तो उसकी रिपोर्ट को उस सदन में रखा जाता है जहां प्रस्ताव शुरू किया गया था। इसके बाद प्रस्ताव पर बहस और मतदान होता है। इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा कुल सदस्य संख्या के बहुमत और उपस्थित व मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना अनिवार्य है।
- चौथा चरण: दोनों सदनों से प्रस्ताव पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलते ही संबंधित न्यायाधीश को पद से हटा दिया जाता है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि वे इस मामले में विपक्षी दलों को विश्वास में लेने का प्रयास करेंगे, क्योंकि महाभियोग एक जटिल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील प्रक्रिया है जिसके लिए व्यापक आम सहमति की आवश्यकता होती है। यह प्रकरण भारतीय न्यायपालिका में जवाबदेही और नैतिकता के मानकों को बनाए रखने की चुनौती को उजागर करता है। केंद्र सरकार अब आगामी मॉनसून सत्र में इस प्रस्ताव को लाने की तैयारी में है।