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BY: Yoganand Shrivastva

इंदौर। संघर्ष की मिसाल बन चुकी इंदौर की गुरदीप कौर वासु आज हजारों लोगों के लिए प्रेरणा हैं। वे न तो देख सकती हैं, न सुन सकती हैं और न ही बोल सकती हैं – फिर भी उन्होंने ऐसी उपलब्धि हासिल की है जो सामान्य व्यक्ति के लिए भी कठिन होती है। बहु-विकलांगता से जूझने के बावजूद गुरदीप ने न सिर्फ शिक्षा पूरी की, बल्कि अब वे मध्यप्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग में सरकारी नौकरी कर रही हैं।

संवाद का अनूठा तरीका: टैक्टाइल साइन लैंग्वेज

गुरदीप बातचीत करने के लिए टैक्टाइल साइन लैंग्वेज का उपयोग करती हैं। इसमें वे सामने वाले के हाथों और उंगलियों को छूकर संकेतों को समझती और अपनी बात व्यक्त करती हैं। चूंकि वे देख और सुन नहीं सकतीं, इसलिए यह तकनीक उनके लिए संवाद का एकमात्र माध्यम है।

अल्पवज़न और समय से पहले हुआ था जन्म

गुरदीप का जन्म समय से पहले हुआ था। जन्म के बाद लगभग दो महीने उन्हें अस्पताल में रखा गया। जब वह 5 माह की हुईं और तब भी कोई शारीरिक प्रतिक्रिया नहीं दे रही थीं, तो परिवार को अंदेशा हुआ। जांच में यह स्पष्ट हो गया कि गुरदीप तीनों इंद्रियों से वंचित हैं – दृष्टि, श्रवण और वाणी।

हिम्मत नहीं हारी, शिक्षा पाई

गुरदीप ने हार नहीं मानी। उन्होंने आनंद सर्विस सोसाइटी के ज्ञानेंद्र और मोनिका पुरोहित की मदद से स्पर्श लिपि (ब्रेल) में शिक्षा प्राप्त की। हाल ही में उन्होंने कला विषय से 12वीं की परीक्षा 52% अंकों के साथ पास की। इसके लिए उन्होंने प्रतिदिन 8-10 घंटे तक अभ्यास किया।

परीक्षा देने के लिए लड़ी कानूनी लड़ाई

गुरदीप को परीक्षा में मूक-बधिर राइटर की सुविधा दिलाने के लिए समाजसेवी दंपति ने कानूनी लड़ाई लड़ी। परीक्षा के दौरान गुरदीप ने उत्तर स्पर्श लिपि के माध्यम से दिए, जिन्हें राइटर ने लिखकर प्रस्तुत किया।

सरकारी सेवा में चयन

इन तमाम बाधाओं को पार कर गुरदीप को हाल ही में वाणिज्यिक कर विभाग, इंदौर में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में नियुक्ति मिली है। विभाग की अतिरिक्त आयुक्त सपना सोलंकी के अनुसार, गुरदीप नियमित रूप से ऑफिस आती हैं और बड़ी ईमानदारी से अपना काम करती हैं।

अब इंदौर की ‘हेलन केलर’ कहलाती हैं गुरदीप

34 वर्षीय गुरदीप कौर आज इंदौर में ‘हेलन केलर’ के नाम से जानी जाती हैं। उनकी कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो शारीरिक या मानसिक बाधाओं से जूझ रहे हैं।


टैक्टाइल साइन लैंग्वेज क्या है?

यह संकेत भाषा का एक रूप है, जिसमें दृष्टिहीन, मूक और बधिर व्यक्ति स्पर्श के माध्यम से संकेतों को महसूस कर बातचीत करते हैं। इसमें हाथ की मुद्राओं और हावभाव को छूकर समझा और समझाया जाता है।


हेलन केलर कौन थीं?

हेलन केलर अमेरिका की प्रसिद्ध लेखिका और शिक्षिका थीं। वे दृष्टिहीन और बधिर थीं, लेकिन उन्होंने शिक्षा प्राप्त की और पूरी दुनिया में प्रेरणा का स्रोत बनीं। मात्र 19 महीने की उम्र में बीमारी के कारण वे अपनी देखने, सुनने और बोलने की शक्ति खो चुकी थीं।

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