28 फरवरी 2025 को दिल्ली विधानसभा में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी के स्वास्थ्य ढांचे की गंभीर कमियों को उजागर किया गया। यह रिपोर्ट दिल्ली की पूर्व आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के स्वास्थ्य मॉडल की पोल खोलती है, जिसमें मोहल्ला क्लीनिकों की “बिगड़ी हालत” से लेकर कोविड-19 महामारी के दौरान फंड के दुरुपयोग तक कई गंभीर मुद्दे शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि 21 आप मोहल्ला क्लीनिकों में शौचालय तक नहीं थे और केंद्र सरकार द्वारा दिए गए कोविड राहत फंड का बड़ा हिस्सा अप्रयुक्त रह गया। आइए, इस रिपोर्ट के प्रमुख बिंदुओं पर विस्तार से नजर डालते हैं।
मोहल्ला क्लीनिकों की दयनीय स्थिति
मोहल्ला क्लीनिक AAP की एक महत्वाकांक्षी योजना थी, जिसे दिल्ली में सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं का प्रतीक बताया गया था। लेकिन CAG की रिपोर्ट ने इस दावे की हकीकत सामने ला दी। रिपोर्ट के अनुसार:
- 21 मोहल्ला क्लीनिकों में शौचालय नहीं: बुनियादी सुविधाओं की कमी ने इन क्लीनिकों की उपयोगिता पर सवाल उठाए।
- 15 क्लीनिकों में बिजली बैकअप नहीं: बिजली कटौती के दौरान ये क्लीनिक प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकते।
- 6 क्लीनिकों में जांच के लिए टेबल तक नहीं: डॉक्टरों के पास मरीजों की जांच के लिए न्यूनतम संसाधन भी उपलब्ध नहीं थे।
- 12 क्लीनिकों में दिव्यांगों के लिए सुविधा नहीं: यह समावेशिता के दावों के विपरीत है।
इसी तरह, आयुष डिस्पेंसरियों की हालत भी चिंताजनक पाई गई। 49 जांचे गए डिस्पेंसरियों में से 17 में बिजली बैकअप नहीं था, 7 में शौचालय की सुविधा नहीं थी, और 14 में पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं था। ये आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर जनता को केवल बड़े-बड़े वादे ही मिले।
कोविड-19 फंड का दुरुपयोग
रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी के दौरान फंड के प्रबंधन में भारी लापरवाही की बात सामने आई है। केंद्र सरकार ने दिल्ली को इस संकट से निपटने के लिए 787.91 करोड़ रुपये जारी किए थे, लेकिन AAP सरकार ने इसमें से केवल 582.84 करोड़ रुपये ही खर्च किए। बाकी 205.07 करोड़ रुपये का उपयोग नहीं हुआ, जो महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को दर्शाता है। इसके अलावा:
- दवाइयों और PPE किट के लिए फंड बेकार: 119.85 करोड़ रुपये में से 83.14 करोड़ रुपये दवाइयों, मास्क और PPE किट जैसी जरूरी चीजों पर खर्च नहीं किए गए।
- स्वास्थ्य कर्मियों के लिए अपर्याप्त खर्च: मानव संसाधन के लिए 52 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन केवल 30.52 करोड़ रुपये ही उपयोग में लाए गए। इससे कर्मचारियों की कमी और कम वेतन की समस्या उजागर होती है।
यह स्थिति तब थी जब दिल्ली में अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और दवाइयों की भारी किल्लत देखी गई थी। रिपोर्ट इसे “स्वास्थ्य ढांचे की गंभीर कमी के प्रति जानबूझकर की गई निष्क्रियता” करार देती है।

अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव
CAG रिपोर्ट ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की स्थिति पर भी प्रकाश डाला। 27 अस्पतालों की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए:
- 14 में ICU नहीं: गंभीर मरीजों के लिए कोई व्यवस्था नहीं होना बड़ी चूक है।
- 16 में ब्लड बैंक नहीं: आपात स्थिति में मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है।
- 8 में ऑक्सीजन की सुविधा नहीं: कोविड काल में यह कमी और भी गंभीर थी।
- 15 में शवगृह नहीं और 12 में एम्बुलेंस नहीं: ये बुनियादी सेवाओं की अनुपस्थिति को दर्शाते हैं।
इसके अलावा, अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाने में भी नाकामी दिखी। 2016-17 से 2020-21 तक 32,000 बेड जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन केवल 1,357 बेड ही बढ़ाए गए। कई बड़े अस्पतालों में बेड की व्यस्तता 101% से 189% तक थी, जिससे मरीजों को एक बेड पर कई लोगों के साथ या फर्श पर लेटना पड़ा।
कर्मचारियों की भारी कमी
स्वास्थ्य सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए कर्मचारियों की जरूरत होती है, लेकिन रिपोर्ट में 8,194 पदों की कमी दर्ज की गई। इसमें नर्सों की 21% और पैरामेडिक्स की 38% कमी शामिल है। लोक नायक अस्पताल जैसे बड़े संस्थानों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की अनुपस्थिति और सर्जरी के लिए 6-8 महीने तक की प्रतीक्षा अवधि ने हालात को और गंभीर बना दिया।
बुनियादी ढांचे का उपयोग नहीं
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कई अस्पतालों में संसाधन होने के बावजूद उनका उपयोग नहीं हुआ। उदाहरण के लिए:
- राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल: 6 ऑपरेशन थिएटर, ICU बेड और डॉक्टरों का हॉस्टल बेकार पड़े हैं।
- जनकपुरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल: 7 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर और ब्लड बैंक काम नहीं कर रहे।
साथ ही, 2007 से 2015 के बीच अस्पतालों के लिए खरीदी गई 15 जमीनें (648.05 लाख रुपये कीमत) 15 साल तक उपयोग में नहीं लाई गईं।
मातृ और शिशु स्वास्थ्य योजनाओं पर ध्यान नहीं
रिपोर्ट में प्रजनन, मातृ, नवजात शिशु और किशोर स्वास्थ्य (RMNCH) योजनाओं के लिए फंड के कम उपयोग की बात भी कही गई। 2016-17 में 58.90% से लेकर 2019-20 में 93.03% तक फंड अप्रयुक्त रहा, जो इन योजनाओं के प्रति लापरवाही को दिखाता है।
निष्कर्ष
CAG की यह रिपोर्ट दिल्ली के स्वास्थ्य ढांचे की जमीनी हकीकत को सामने लाती है। मोहल्ला क्लीनिक, जो AAP के स्वास्थ्य मॉडल का आधार थे, बुनियादी सुविधाओं से वंचित पाए गए। कोविड फंड का सही इस्तेमाल न होना और अस्पतालों में संसाधनों की कमी इस बात का सबूत है कि बड़े-बड़े दावों के पीछे कार्यान्वयन में भारी कमी रही। यह रिपोर्ट न केवल AAP की स्वास्थ्य नीतियों पर सवाल उठाती है, बल्कि भविष्य में ऐसी खामियों को सुधारने की जरूरत को भी रेखांकित करती है।