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by-Ravindra Sikarwar

केंद्र सरकार ने कैब एग्रीगेटर कंपनियों जैसे ओला (Ola) और उबर (Uber) को एक बड़ा झटका देते हुए नई गाइडलाइंस जारी की हैं, जिनके तहत उन्हें अब पीक आवर्स (अधिक मांग वाले समय) में बेस फेयर (मूल किराए) से दोगुना तक किराया वसूलने की अनुमति मिल गई है। वहीं, नॉन-रश आवर्स (कम मांग वाले समय) के दौरान भी वे बेस फेयर के 50% से कम किराया नहीं ले सकेंगे। यह फैसला उपभोक्ताओं और कैब चालकों दोनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।

नए नियमों का विस्तृत विवरण:
ये नए नियम केंद्रीय मोटर वाहन नियम (Central Motor Vehicles Rules) के तहत जारी किए गए हैं, जिनका उद्देश्य कैब एग्रीगेटर सेवाओं को विनियमित करना और ग्राहकों तथा चालकों के लिए एक संतुलित ढांचा प्रदान करना है।

  • पीक आवर्स में दोगुना किराया (2x Surge Pricing):
    • सरकार ने कैब एग्रीगेटर्स को यह छूट दी है कि जब यात्रियों की मांग बहुत अधिक हो (जैसे सुबह और शाम के व्यस्त घंटे, खराब मौसम, त्योहार आदि), तो वे अपने मूल किराए से दोगुना (200%) तक किराया चार्ज कर सकते हैं।
    • यह ‘सर्ज प्राइसिंग’ या ‘डायनामिक प्राइसिंग’ मॉडल का हिस्सा है, जिसे एग्रीगेटर कंपनियां पहले से ही सीमित रूप से इस्तेमाल कर रही थीं, लेकिन अब इसे सरकारी मंजूरी मिल गई है।
    • इसका मतलब है कि आपको व्यस्त समय में अपनी कैब यात्रा के लिए काफी अधिक भुगतान करना पड़ सकता है।
  • नॉन-रश आवर्स में न्यूनतम 50% किराया:
    • इसके विपरीत, जब मांग कम होती है (जैसे देर रात या दोपहर के शांत घंटे), तो कैब एग्रीगेटर बेस फेयर के 50% से कम किराया नहीं ले पाएंगे।
    • पहले, कुछ कंपनियां यात्रियों को आकर्षित करने के लिए बहुत कम दरों पर सवारी प्रदान करती थीं, खासकर जब प्रतिस्पर्धा अधिक होती थी। यह नया नियम ऐसी “डिस्काउंटेड राइड्स” को सीमित करेगा और कैब चालकों के लिए एक न्यूनतम आय सुनिश्चित करेगा।

इन नियमों का प्रभाव:

  1. उपभोक्ताओं पर प्रभाव:
    • व्यस्त समय में महंगी यात्राएं: यात्रियों को पीक आवर्स में कैब लेने के लिए काफी अधिक भुगतान करना होगा, जिससे उनकी जेब पर बोझ बढ़ेगा।
    • नॉन-रश आवर्स में भी छूट में कमी: कम मांग वाले समय में भी सस्ती सवारी के विकल्प सीमित हो जाएंगे।
    • पारदर्शिता: हालांकि, इन नियमों से किराए की गणना में अधिक पारदर्शिता आने की उम्मीद है, क्योंकि अब कैप (अधिकतम सीमा) और फ्लोर (न्यूनतम सीमा) तय हो गई है।
  2. कैब चालकों पर प्रभाव:
    • आय में वृद्धि की संभावना: व्यस्त समय में दोगुना किराया वसूलने से चालकों की आय में वृद्धि हो सकती है।
    • न्यूनतम आय सुनिश्चित: नॉन-रश आवर्स में भी न्यूनतम 50% किराया मिलने से चालकों को वित्तीय सुरक्षा मिलेगी और उन्हें बहुत कम कमाई करने से रोका जा सकेगा।
    • लाभदायकता: यह एग्रीगेटर कंपनियों के लिए भी अधिक लाभदायक हो सकता है, जिससे वे अपनी सेवाओं में सुधार के लिए निवेश कर सकें।
  3. उद्योग पर प्रभाव:
    • यह कदम कैब एग्रीगेटर उद्योग को विनियमित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
    • यह कंपनियों को मनमाने ढंग से कीमतें तय करने से रोकेगा, लेकिन साथ ही उन्हें बाजार की मांग के अनुसार कीमतें समायोजित करने की छूट भी देगा।

सरकार का यह निर्णय कैब सेवाओं में संतुलन स्थापित करने का एक प्रयास है, ताकि यात्रियों को उचित मूल्य पर सेवा मिले और चालकों को उनकी मेहनत का सही दाम मिल सके। हालांकि, यह देखना बाकी है कि ये नियम जमीन पर कितने प्रभावी साबित होते हैं और यह उपभोक्ताओं और चालकों दोनों को कितना प्रभावित करते हैं।

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