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आज बुद्ध पूर्णिमा का पावन अवसर है, जो न केवल भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण का प्रतीक है, बल्कि हिंदू धर्म में भी इसका विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के साथ-साथ दान-पुण्य करने की भी परंपरा है। मान्यता है कि बुद्ध पूर्णिमा पर किए गए दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और पितृगण प्रसन्न होते हैं।

विष्णु पूजन और दान का महत्व:
बुद्ध पूर्णिमा के दिन प्रातः काल भगवान विष्णु का विधि-विधान से पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके पश्चात, विभिन्न वस्तुओं का दान करने की परंपरा है। विशेष रूप से पानी से भरा घड़ा और विभिन्न प्रकार के पकवानों का दान करना इस दिन बहुत फलदायी माना जाता है।

मिट्टी के घड़े का दान – गौदान के समान:
शास्त्रों में बुद्ध पूर्णिमा के दिन मिट्टी के घड़े का दान करना गौदान के समान पुण्यदायी बताया गया है। ग्रीष्म ऋतु में जल की महत्ता को देखते हुए, पानी से भरे घड़े का दान न केवल जरूरतमंदों को राहत पहुंचाता है, बल्कि यह एक श्रेष्ठ दान भी माना जाता है।

पितरों की प्रसन्नता के लिए पीले वस्त्रों और अन्य वस्तुओं का दान:
बुद्ध पूर्णिमा के दिन पीले रंग का विशेष महत्व है। इस दिन पीले वस्त्रों का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त, गर्मी को देखते हुए पंखा, चप्पल और छतरी का दान करना भी पुण्यदायी है। मान्यता है कि इन वस्तुओं का दान करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं और दान करने वाले को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

अनाज और फल का दान भी इस दिन महत्वपूर्ण माना गया है। अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार अनाज और फलों का दान करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

दान करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:

  • दान हमेशा श्रद्धा और प्रेम भाव से करना चाहिए।
  • दान की वस्तुएं स्वच्छ और अच्छी गुणवत्ता वाली होनी चाहिए।
  • दान ऐसे व्यक्ति को करना चाहिए जिसे वास्तव में उसकी आवश्यकता हो।
  • दान करते समय किसी प्रकार का अहंकार या दिखावा नहीं करना चाहिए।

बुद्ध पूर्णिमा का यह पावन दिन हमें त्याग, करुणा और दान की महत्ता सिखाता है। इस दिन विष्णु पूजन के साथ-साथ अपनी क्षमतानुसार दान करके हम न केवल पुण्य अर्जित कर सकते हैं, बल्कि जरूरतमंदों की सहायता भी कर सकते हैं और अपने पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त कर सकते हैं।

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