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by-Ravindra Sikarwar

तिरुवनंतपुरम, केरल – भारत के केरल राज्य में आपातकालीन लैंडिंग करने वाला ब्रिटिश रॉयल नेवी का एक अत्याधुनिक F-35B फाइटर जेट ब्रिटिश सेना के लिए एक बड़ी रसद (लॉजिस्टिकल) चुनौती बन गया है। इस जेट की मरम्मत, disassembly (पुर्जे खोलना) और इसे वापस यूनाइटेड किंगडम ले जाने की प्रक्रिया बेहद जटिल साबित हो रही है। इस कार्य के लिए ब्रिटेन से 40 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम भारत पहुंच चुकी है, जो जेट की स्थिति का आकलन कर रही है और इसे वापस भेजने की रणनीति बना रही है।

घटना और आपातकालीन लैंडिंग:
यह घटना कुछ दिन पहले की है जब ब्रिटिश नौसेना का यह F-35B फाइटर जेट अरब सागर में चल रहे एक नियमित अभ्यास के दौरान किसी तकनीकी खराबी का सामना कर रहा था। यह जेट ब्रिटिश विमानवाहक पोत एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ (HMS Queen Elizabeth) से उड़ान भर रहा था। तकनीकी गड़बड़ी के बाद, पायलट ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, निकटतम सुरक्षित स्थान के रूप में केरल के एक हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग का अनुरोध किया। भारतीय वायु सेना और नौसेना ने तुरंत अनुमति दी और जेट को सुरक्षित रूप से उतारा गया।

F-35B एक ‘शॉर्ट टेकऑफ और वर्टिकल लैंडिंग’ (STOVL) सक्षम विमान है, जो छोटे रनवे पर उतर सकता है, लेकिन केरल के हवाई अड्डे पर इसकी लैंडिंग एक अप्रत्याशित और संवेदनशील घटना थी।

लॉजिस्टिकल दुःस्वप्न:
जेट की आपातकालीन लैंडिंग के बाद से ही इसे वापस ले जाना एक बड़ी चुनौती बन गया है। इसकी जटिलता के कई कारण हैं:

  • विमान की संवेदनशीलता और तकनीक: F-35B दुनिया के सबसे उन्नत और गोपनीय लड़ाकू विमानों में से एक है। इसकी स्टील्थ तकनीक और आंतरिक प्रणालियां अत्यधिक संवेदनशील हैं। इसे सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना या इसे अनियंत्रित तरीके से संभालना ब्रिटेन के लिए सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकता है।
  • आकार और वजन: F-35B एक बड़ा और भारी विमान है। इसे सामान्य विमानों की तरह आसानी से कार्गो विमान में लोड नहीं किया जा सकता। इसे टुकड़ों में डिसअसेंबल करने की आवश्यकता होगी, जिसके लिए विशेष उपकरणों और अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता होती है।
  • डिसअसेंबली की जटिलता: जेट को सुरक्षित रूप से डिसअसेंबल करने के लिए विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है ताकि इसके संवेदनशील घटकों को कोई नुकसान न हो। इसके इंजन, पंख, और अन्य प्रमुख हिस्सों को सावधानीपूर्वक अलग किया जाना होगा।
  • परिवहन के विकल्प: एक बार डिसअसेंबल होने के बाद, इन टुकड़ों को यूनाइटेड किंगडम तक पहुंचाने के लिए एक बड़े कार्गो विमान (जैसे C-17 ग्लोबमास्टर) की आवश्यकता होगी। इसमें कई उड़ानें भी लग सकती हैं। वैकल्पिक रूप से, समुद्री मार्ग से भी ले जाने पर विचार किया जा सकता है, लेकिन यह अधिक समय लेने वाला होगा।
  • भारतीय अधिकारियों से समन्वय: पूरी प्रक्रिया में भारतीय रक्षा और नागरिक उड्डयन अधिकारियों के साथ घनिष्ठ समन्वय की आवश्यकता है, जिसमें सुरक्षा मंजूरी, हवाई अड्डे पर स्थान और उपकरण का उपयोग, और अन्य लॉजिस्टिकल समर्थन शामिल है।

40 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम का आगमन:
इस चुनौती से निपटने के लिए ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स (RAF) और रॉयल नेवी के इंजीनियरों और तकनीशियनों की 40 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम केरल पहुंच चुकी है। इस टीम का प्राथमिक कार्य है:

  • जेट को हुए नुकसान का विस्तृत आकलन करना।
  • निर्धारित करना कि क्या इसकी मौके पर मरम्मत संभव है, या इसे डिसअसेंबल करके ही ले जाना होगा।
  • डिसअसेंबल करने की रणनीति बनाना और उसे अंजाम देना।
  • इसके सुरक्षित परिवहन के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं करना।

यह टीम भारतीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूरी प्रक्रिया सुचारू और सुरक्षित रूप से संपन्न हो।

भारत-ब्रिटेन रक्षा संबंध:
यह घटना दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा संबंधों को भी दर्शाती है। भारतीय अधिकारियों ने ब्रिटिश जेट की आपातकालीन लैंडिंग और उसके बाद की सहायता में पूरा सहयोग दिया है। यह इस बात का प्रमाण है कि सैन्य सहयोग और परस्पर विश्वास संकट के समय कितना महत्वपूर्ण होता है।

केरल में फंसे इस F-35B जेट की वापसी की प्रक्रिया एक जटिल और समय लेने वाला ऑपरेशन होने की उम्मीद है, जिस पर दुनिया भर की सैन्य और विमानन विशेषज्ञों की निगाहें टिकी हुई हैं।

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