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by-Ravindra Sikarwar

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय ब्राजील में BRICS शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं, जहाँ उन्होंने BRICS की विश्वसनीयता और ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया है। इस सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई है, जिनमें फार्मास्युटिकल क्षेत्र में सहयोग, भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का विस्तार, और भारत की COP 33 (2028) की मेजबानी के लिए उम्मीदवारी का स्वागत शामिल है। इसके अतिरिक्त, ऐसी खबरें भी हैं कि अमेरिका BRICS के साथ जुड़ने वाले देशों पर संभावित टैरिफ लगा सकता है, और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर बातचीत भी जारी है।

प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन: विश्वसनीयता और ग्लोबल साउथ का नेतृत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में BRICS को वैश्विक मंच पर अधिक प्रभावी और विश्वसनीय बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि BRICS देशों को ग्लोबल साउथ के हितों का प्रतिनिधित्व करना चाहिए और विकासशील देशों की आवाज़ को बुलंद करना चाहिए। उनका यह वक्तव्य ऐसे समय में आया है जब विश्व भू-राजनीतिक और आर्थिक रूप से कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, और BRICS जैसे समूह की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

प्रमुख चर्चा के विषय:

  • फार्मास्युटिकल क्षेत्र में सहयोग: BRICS देशों के बीच दवाओं के उत्पादन, आपूर्ति श्रृंखला और अनुसंधान एवं विकास में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। यह सहयोग वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, खासकर कोविड-19 महामारी के बाद।
  • UPI का वैश्विक विस्तार: भारत के सफल डिजिटल भुगतान प्रणाली, UPI, को अन्य BRICS देशों में अपनाने और उसके विस्तार पर भी बातचीत हुई। यह वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और सीमा पार लेनदेन को आसान बनाने में मदद कर सकता है।
  • COP 33 (2028) की मेजबानी के लिए भारत की उम्मीदवारी: जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के पार्टियों के 33वें सम्मेलन (COP 33) की मेजबानी के लिए भारत की उम्मीदवारी का BRICS देशों ने स्वागत किया। यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और जलवायु परिवर्तन से निपटने में उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

अमेरिका का संभावित रुख और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता:
सम्मेलन के दौरान, कुछ रिपोर्टों में यह संकेत दिया गया है कि अमेरिका उन देशों पर नए टैरिफ लगा सकता है जो BRICS समूह के साथ घनिष्ठ संबंध बना रहे हैं या उसकी नीतियों का समर्थन कर रहे हैं। यह कदम अमेरिका द्वारा अपनी आर्थिक नीतियों को बढ़ावा देने और भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को कम करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

इसके समानांतर, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत भी जारी है। दोनों देश व्यापार बाधाओं को कम करने और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक समझौते पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। BRICS शिखर सम्मेलन में भारत की सक्रिय भागीदारी और अमेरिका के संभावित टैरिफ की खबरें दोनों देशों के जटिल अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को दर्शाती हैं।

BRICS शिखर सम्मेलन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हो रहा है जहाँ वह अपने हितों को आगे बढ़ा सकता है और वैश्विक मामलों में अपनी भूमिका को मजबूत कर सकता है। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा भारत की विदेश नीति की बहुआयामी प्रकृति को दर्शाता है, जहाँ वह एक ओर बहुपक्षीय मंचों पर सक्रिय है, वहीं दूसरी ओर द्विपक्षीय संबंधों को भी संतुलित कर रहा है।

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