
नई दिल्ली: आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी द्वारा विपक्षी नेता के बयान की प्रशंसा कम ही देखी जाती है, लेकिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर के बयान पर ऐसा होते देखा गया।
रायसीना डायलॉग में थरूर ने स्वीकार किया कि मोदी सरकार की यूक्रेन युद्ध नीति सही थी और उन्होंने पहले इस पर जो आलोचना की थी, वह गलत साबित हुई। उन्होंने कहा कि भारत की तटस्थ नीति, यानी रूस की निंदा करने के वैश्विक दबाव में न झुकने का निर्णय, शांतिवार्ता में भारत की भूमिका को मजबूत करता है।
थरूर ने यह भी कहा कि भारत के पास एक ऐसा प्रधानमंत्री है, जो रूस और यूक्रेन दोनों के राष्ट्रपतियों को गले लगा सकता है, जिससे भारत वैश्विक शांति स्थापना में अहम भूमिका निभा सकता है।
भाजपा ने शशि थरूर के रुख में बदलाव को लपका
भाजपा नेता रवि शंकर प्रसाद ने कहा,
“शशि थरूर को अब समझ आया कि उन्होंने पहले रूस-यूक्रेन युद्ध पर जो बयान दिए थे, वे गलत थे और भारत सरकार की नीति सही थी। देर आए, दुरुस्त आए। अब कांग्रेस के अन्य नेताओं को भी यही करना चाहिए।”
कांग्रेस नेतृत्व नाखुश
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस हाईकमान थरूर के बयान से असहज महसूस कर रहा है। एक वरिष्ठ एआईसीसी पदाधिकारी ने उनसे संपर्क कर स्पष्ट किया कि ऐसे बयान की कोई जरूरत नहीं थी।