by-Ravindra Sikarwar
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के चल रहे पुनरीक्षण को लेकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया ब्लॉक’ ने इस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि यह बड़ी संख्या में मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करने का जोखिम पैदा करता है। इस मुद्दे पर कानूनी कार्रवाई और राज्यव्यापी रैलियां आयोजित करने पर विचार किया जा रहा है, जबकि भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने प्रक्रिया में पारदर्शिता और समावेशिता का आश्वासन दिया है।
विवाद का मूल: इंडिया ब्लॉक के आरोप
इंडिया ब्लॉक का मुख्य आरोप यह है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है और इसमें संभावित रूप से मतदाताओं को सूची से हटाने की कोशिश की जा रही है, खासकर उन लोगों को जो किसी विशेष राजनीतिक दल या समुदाय से जुड़े हो सकते हैं। उनके प्रमुख आरोप निम्नलिखित हैं:
- बड़े पैमाने पर नाम हटाना: इंडिया ब्लॉक के नेताओं का दावा है कि ‘सत्यापन’ के नाम पर हजारों वैध मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। उनका तर्क है कि यह प्रक्रिया बिना उचित जांच-पड़ताल और मतदाताओं को पर्याप्त सूचना दिए बिना की जा रही है।
- प्रक्रिया में अस्पष्टता: विपक्ष का आरोप है कि पुनरीक्षण प्रक्रिया में पर्याप्त पारदर्शिता नहीं है। उनका कहना है कि मतदाताओं को सूची से हटाने के कारणों और प्रक्रियाओं के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है।
- राजनीतिक दुर्भावना का आरोप: कुछ विपक्षी नेताओं ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि यह कवायद राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है, जिसका उद्देश्य आगामी चुनावों में सत्ताधारी दल को लाभ पहुंचाना है। वे विशेष रूप से कमजोर वर्गों और अल्पसंख्यक समुदायों के मतदाताओं को निशाना बनाने का संदेह व्यक्त कर रहे हैं।
- प्रवासी श्रमिकों की समस्या: बिहार में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक हैं जो काम के लिए राज्य से बाहर रहते हैं। इंडिया ब्लॉक का तर्क है कि इन श्रमिकों के नाम आसानी से सूची से हटाए जा सकते हैं यदि वे सत्यापन के दौरान अपने आवास पर मौजूद नहीं होते हैं, भले ही वे बिहार के वैध मतदाता हों।
- कम समय-सीमा: विपक्ष का यह भी कहना है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए दी गई समय-सीमा अपर्याप्त है, जिससे सभी वैध मतदाताओं का उचित सत्यापन और पंजीकरण सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाता है।
इंडिया ब्लॉक की रणनीति:
इन आरोपों के मद्देनजर, इंडिया ब्लॉक ने इस मुद्दे को मजबूती से उठाने का फैसला किया है। उनकी प्रस्तावित रणनीतियों में शामिल हैं:
- कानूनी कार्रवाई: गठबंधन इस मामले को अदालत में ले जाने पर विचार कर रहा है, जिसमें भारत के सर्वोच्च न्यायालय या पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर करना शामिल हो सकता है। वे चाहते हैं कि अदालत चुनाव आयोग को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पुनरीक्षण प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दे।
- राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन और रैलियां: इंडिया ब्लॉक ने मतदाताओं को जागरूक करने और अपनी मांगों को उजागर करने के लिए बिहार के विभिन्न हिस्सों में रैलियां और विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य जनता का समर्थन जुटाना और चुनाव आयोग पर दबाव डालना है।
- प्रतिनिधिमंडल भेजना: गठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही भारत निर्वाचन आयोग से मुलाकात कर अपनी चिंताओं को साझा करने और तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर सकता है।
भारत निर्वाचन आयोग का रुख:
दूसरी ओर, भारत निर्वाचन आयोग ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है और जोर देकर कहा है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और समावेशी है। आयोग का कहना है:
- नियमित प्रक्रिया: ECI ने स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण एक नियमित और अनिवार्य प्रक्रिया है जो चुनावों से पहले की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सूची अद्यतन, सटीक और त्रुटि मुक्त हो।
- दावे और आपत्तियां: आयोग ने बताया है कि पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान, नए मतदाताओं को अपना नाम दर्ज कराने का अवसर मिलता है, और मौजूदा मतदाता अपने विवरण में सुधार कर सकते हैं। इसके साथ ही, किसी भी व्यक्ति को मतदाता सूची में किसी भी अमान्य नाम पर आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार है।
- सत्यापन प्रक्रिया: ECI का कहना है कि नाम हटाने की प्रक्रिया एक कठोर सत्यापन के बाद ही होती है, जिसमें घर-घर जाकर सर्वेक्षण और मृत या स्थानांतरित मतदाताओं की पहचान शामिल है। मतदाताओं को सूची से हटाने से पहले उचित नोटिस और सुनवाई का अवसर दिया जाता है।
- जागरूकता अभियान: आयोग ने मतदाताओं से इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि उनके नाम सूची में सही ढंग से दर्ज हों। इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
आगे की राह:
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण विवाद आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। इंडिया ब्लॉक की चिंताओं को दूर करना और मतदाताओं का विश्वास बनाए रखना चुनाव आयोग के लिए एक चुनौती होगी। इस मामले पर राजनीतिक खींचतान तेज होने की उम्मीद है क्योंकि दोनों पक्ष अपनी-अपनी स्थिति पर कायम हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इंडिया ब्लॉक अपनी प्रस्तावित कानूनी कार्रवाई और विरोध प्रदर्शनों को आगे बढ़ाता है, और चुनाव आयोग इन आरोपों पर कैसे प्रतिक्रिया देता है ताकि चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।