by-Ravindra Sikarwar
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश के निर्यात क्षेत्र को एक बड़ा प्रोत्साहन देते हुए, निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों की वापसी (Remission of Duties and Taxes on Exported Products – RoDTEP) योजना के तहत लाभों को बहाल करने की घोषणा की है। यह फैसला 1 जून, 2025 से प्रभावी होगा, और वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना हेतु ₹18,233 करोड़ का संतोषजनक आवंटन किया गया है। यह कदम भारतीय निर्यातकों के लिए अनिश्चितता को समाप्त करेगा और वैश्विक बाजारों में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगा।
क्या है RoDTEP योजना?
RoDTEP योजना को जनवरी 2021 में विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के अनुरूप, पुरानी मर्केंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (MEIS) के स्थान पर शुरू किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन अप्रत्यक्ष केंद्रीय, राज्य और स्थानीय शुल्कों और करों को निर्यातकों को वापस करना है, जो निर्यात प्रक्रिया के दौरान लगाए जाते हैं लेकिन वस्तु एवं सेवा कर (GST) या सीमा शुल्क ड्रॉबैक के माध्यम से वापस नहीं किए जाते। इनमें प्रमुख रूप से बिजली शुल्क, मंडी शुल्क, परिवहन के लिए इस्तेमाल होने वाले ईंधन पर कर, निर्यात दस्तावेज़ों पर स्टाम्प शुल्क और अन्य ‘एम्बेडेड’ कर शामिल हैं। ये कर भारतीय उत्पादों की लागत बढ़ाते थे, जिससे वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम प्रतिस्पर्धी हो जाते थे। RoDTEP योजना इन शुल्कों का प्रतिपूर्ति करके निर्यातकों को लागत लाभ प्रदान करती है।
बहाली का महत्व और वित्तीय आवंटन:
लाभों की बहाली निर्यातकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें भविष्य की निर्यात रणनीतियों और मूल्य निर्धारण के लिए आवश्यक निश्चितता प्रदान करती है। पिछले कुछ समय से RoDTEP दरों और पात्रता को लेकर कुछ अनिश्चितता थी, जिससे निर्यातकों को अपने वित्तीय नियोजन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। इस घोषणा से यह अनिश्चितता समाप्त हो गई है और निर्यातकों को अपने व्यापार संचालन को सुचारू रूप से चलाने में मदद मिलेगी।
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹18,233 करोड़ का आवंटन यह दर्शाता है कि सरकार निर्यात क्षेत्र को समर्थन देने और उसे आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य का एक प्रमुख स्तंभ बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह राशि यह सुनिश्चित करने में मदद करेगी कि योजना के तहत दावा किए गए लाभों का समय पर भुगतान हो सके, जिससे निर्यातकों की तरलता (liquidity) में सुधार होगा।
भारतीय निर्यात और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
इस कदम से भारतीय निर्यातकों को वैश्विक बाजार में अपने उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी। यह भारतीय विनिर्माताओं को ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत अधिक उत्पादन करने और निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। बढ़े हुए निर्यात से देश के व्यापार संतुलन में सुधार होगा, विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होगी और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी सकारात्मक योगदान मिलेगा। अंततः, यह घोषणा रोजगार सृजन को बढ़ावा देगी और देश के आर्थिक विकास को गति प्रदान करेगी। यह सरकार की उन नीतियों को जारी रखने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है जो वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति को मजबूत करती हैं।