by-Ravindra Sikarwar
आज भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। बेंचमार्क सूचकांक, सेंसेक्स और निफ्टी, दोनों ही प्रमुख वैश्विक और घरेलू चिंताओं के कारण निचले स्तर पर कारोबार कर रहे हैं। अमेरिका द्वारा स्टील आयात पर नए शुल्क लगाने की घोषणा और देश में COVID-19 के बढ़ते मामलों ने निवेशकों की भावनाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, जिससे व्यापक बिकवाली देखी जा रही है।
गिरावट के मुख्य कारण:
- अमेरिकी धातु आयात पर नए शुल्क:
हाल ही में अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर नए और बढ़े हुए शुल्क लगाने की घोषणा ने वैश्विक व्यापारिक तनाव को बढ़ा दिया है। इन शुल्कों का सीधा असर भारतीय धातु निर्यातकों पर पड़ने की आशंका है। अमेरिका भारतीय स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है, और इन शुल्कों से भारत के लगभग 4.56 बिलियन डॉलर के धातु निर्यात प्रभावित हो सकते हैं। इस खबर ने धातु क्षेत्र के शेयरों में भारी गिरावट ला दी है, जो समग्र बाजार को नीचे खींच रहा है। निवेशकों को डर है कि इस तरह के संरक्षणवादी कदम वैश्विक व्यापार को बाधित कर सकते हैं और निर्यात पर निर्भर भारतीय कंपनियों की आय पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
- देश में COVID-19 के बढ़ते मामले:
पिछले कुछ समय से भारत में COVID-19 के मामलों में फिर से वृद्धि देखी जा रही है। हालांकि अभी स्थिति गंभीर नहीं है, लेकिन इसने निवेशकों के मन में अनिश्चितता और चिंता पैदा कर दी है। पिछली लहरों के दौरान अर्थव्यवस्था और बाजार पर पड़े नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए, निवेशक संभावित लॉकडाउन या आर्थिक गतिविधियों में कमी की आशंका से सतर्क हो रहे हैं। भले ही सरकार और स्वास्थ्य अधिकारी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रहे हैं, लेकिन संक्रमण के आंकड़ों में वृद्धि ने बाजार की धारणा पर दबाव डाला है, खासकर उन क्षेत्रों में जो उपभोक्ता खर्च और यात्रा पर निर्भर करते हैं।
बाजार का हाल:
आज के शुरुआती कारोबार में, सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही सूचकांकों में महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई। धातु और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) जैसे क्षेत्रों के शेयरों में विशेष रूप से तेज गिरावट आई। हालांकि, कुछ रक्षात्मक क्षेत्र और चुनिंदा छोटे व मझोले शेयरों में थोड़ी मजबूती देखी गई, लेकिन वे समग्र बाजार की गिरावट को रोकने में असमर्थ रहे। बाजार में उतार-चढ़ाव (Volatility) भी बढ़ा हुआ है, जो निवेशकों की घबराहट को दर्शाता है।
विश्लेषकों की राय:
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा गिरावट मुख्य रूप से इन दो बाहरी कारकों के कारण है। उनका कहना है कि अमेरिकी शुल्क वैश्विक व्यापार में अस्थिरता का संकेत देते हैं, जबकि COVID-19 के मामले एक आंतरिक जोखिम प्रस्तुत करते हैं। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी सिद्धांत मजबूत बने हुए हैं, और दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह गिरावट खरीद का अवसर प्रदान कर सकती है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की आगामी मौद्रिक नीति बैठक पर भी निवेशकों की नज़रें टिकी हुई हैं, जिससे बाजार को दिशा मिलने की उम्मीद है।
आगे क्या?
आने वाले दिनों में अमेरिकी शुल्क नीति और देश में COVID-19 की स्थिति पर बारीकी से नज़र रखी जाएगी। यदि अमेरिकी शुल्क को लेकर कोई सकारात्मक विकास होता है या COVID-19 के मामलों में स्थिरता आती है, तो बाजार में सुधार देखा जा सकता है। हालांकि, जब तक इन चिंताओं का समाधान नहीं हो जाता, तब तक बाजार में अस्थिरता बनी रहने की संभावना है। निवेशकों को सावधानी बरतने और सोच-समझकर निवेश करने की सलाह दी जा रही है।