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by-Ravindra Sikarwar

भोपाल, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक नवनिर्मित पुल के डिज़ाइन में गंभीर खामियां सामने आने के बाद राज्य सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है। पुल के बीच में ही खतरनाक 90-डिग्री का मोड़ होने के कारण, लोक निर्माण विभाग (PWD) के सात इंजीनियरों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही, पुल का डिज़ाइन तैयार करने वाली सलाहकार कंपनी (डिजाइन कंसल्टेंट) को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है, जिससे वह भविष्य में किसी भी सरकारी परियोजना में हिस्सा नहीं ले पाएगी।

क्या है मामला?
भोपाल के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में यातायात को सुगम बनाने के उद्देश्य से एक फ्लाईओवर का निर्माण किया गया था। हालांकि, जैसे ही पुल बनकर तैयार हुआ, यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि इसके बीच में एक असामान्य और खतरनाक 90-डिग्री का तीखा मोड़ है। यह मोड़ वाहनों के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करता है, खासकर रात के समय जब दृश्यता कम होती है। इस अव्यवहारिक डिज़ाइन के कारण पुल यातायात जाम और संभावित दुर्घटनाओं का केंद्र बन गया है, जिससे लोगों में भारी रोष है।

अधिकारी घेरे में:
इस पुल के निर्माण में हुई लापरवाही ने लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि प्रारंभिक योजना से लेकर डिजाइन की मंजूरी और निर्माण तक, इतने वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों की नजरों से यह बड़ी खामी कैसे बच निकली।

मामले की गंभीरता को देखते हुए, सरकार ने तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया। प्रारंभिक जाँच के बाद, PWD के विभिन्न स्तरों के 7 इंजीनियरों को निलंबित कर दिया गया है। इन अधिकारियों में मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, कार्यपालन यंत्री और सहायक अभियंता शामिल हैं, जो पुल की योजना, डिजाइन और पर्यवेक्षण से जुड़े थे।

डिजाइन कंपनी ब्लैकलिस्ट:
पुल का डिज़ाइन तैयार करने वाली सलाहकार कंपनी को भी इस खामी के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया गया है। कंपनी पर लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैये का आरोप लगाते हुए उसे तत्काल प्रभाव से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। इसका मतलब है कि यह कंपनी अब राज्य सरकार के किसी भी टेंडर या परियोजना में हिस्सा नहीं ले पाएगी।

जवाबदेही का कड़ा संदेश:
सरकार के इस कदम को सार्वजनिक परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा संदेश माना जा रहा है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि जनता के पैसे और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इस मामले में एक उच्च-स्तरीय जाँच समिति का गठन भी किया गया है, जो यह पता लगाएगी कि इस तरह के अवैज्ञानिक डिजाइन को मंजूरी कैसे मिली और इसके लिए कौन-कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं।

फिलहाल, इस पुल के भविष्य को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। प्रशासन इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या इसे फिर से डिजाइन किया जाए या इसमें कोई संरचनात्मक बदलाव किए जाएं ताकि यह यातायात के लिए सुरक्षित हो सके।

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