
भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर (बीपीएम) निशा अचले को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई सीहोर जिले की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) नर्मदी अश्वारे द्वारा 15 मई 2025 को पुलिस अधीक्षक (लोकायुक्त, भोपाल) विपुस्था दुर्गेश राठौर को दर्ज कराई गई एक शिकायत के बाद की गई।
शिकायतकर्ता नर्मदी अश्वारे ने अपनी शिकायत में बताया था कि उनके ब्लॉक के अंतर्गत 27 उप स्वास्थ्य केंद्र आते हैं, जिन्हें वार्षिक आवंटन के रूप में ₹50,000 और वेलनेस एक्टिविटी के लिए अतिरिक्त ₹5,000 प्राप्त होते हैं। हालांकि, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर (बीपीएम) निशा अचले और प्रभारी लेखपाल प्रत्येक उप स्वास्थ्य केंद्र से बिल वाउचर जमा करने की एवज में ₹2,000 की रिश्वत मांग रहे थे। इस प्रकार, कुल ₹54,000 की अवैध मांग की जा रही थी।
शिकायत की गंभीरता को देखते हुए, लोकायुक्त पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और आरोपों के सत्यापन के बाद 16 मई 2025 को एक ट्रैप टीम का गठन किया। लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक के मार्गदर्शन में गठित इस टीम में उप पुलिस अधीक्षक दिलीप झारबडे, निरीक्षक उमा कुशवाह, प्रधान आरक्षक रामदास कुर्मी, नेहा परदेसी, यशवंत, आरक्षक चैतन्य प्रताप सिंह, चालक अमित विश्वकर्मा और हिम्मत सिंह शामिल थे।
टीम ने योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई करते हुए निशा अचले को उनके निवास स्थान के बाहर सड़क पर शिकायतकर्ता से ₹6,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। लोकायुक्त पुलिस ने आरोपी निशा अचले के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है और आगे की कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है।
लोकायुक्त की यह त्वरित और प्रभावी कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। स्थानीय लोगों ने लोकायुक्त पुलिस की इस तत्परता की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि भविष्य में भी इस तरह की कार्रवाई जारी रहेगी ताकि प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और ईमानदारी बनी रहे। इस घटना ने एक बार फिर सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार की समस्या और उसे खत्म करने की आवश्यकता को उजागर किया है। लोकायुक्त की इस सफलता से अन्य भ्रष्ट अधिकारियों में भी भय का माहौल व्याप्त होने की संभावना है।