By: Ravindra Sikarwar
छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना से जुड़े कथित मुआवजा घोटाले की जांच अब तेज हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 29 दिसंबर 2025 को राज्य के रायपुर और महासमुंद जिलों में कुल नौ अलग-अलग ठिकानों पर एक साथ तलाशी और जब्ती की कार्रवाई शुरू की। यह छापेमारी रायपुर-विशाखापट्टनम आर्थिक कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण में मुआवजे के भुगतान में हुई अनियमितताओं से संबंधित है। सुबह से शुरू हुई इस कार्रवाई में ED की टीमों ने सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच दस्तावेजों की जांच और संदिग्ध सामग्री की जब्ती की।
प्रमुख ठिकानों में रायपुर में भूमि दलाल हरमीत सिंह खनूजा के आवास पर दबिश शामिल है। खनूजा इस मामले में पहले से ही आरोपित हैं और उनका नाम राज्य की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की चार्जशीट में भी आ चुका है। वहीं, महासमुंद के मेघ बसंत क्षेत्र में स्थानीय व्यवसायी जसबीर सिंह बग्गा के घर पर भी ED की टीम पहुंची। बग्गा एक प्रमुख कारोबारी हैं और उनके परिसर से महत्वपूर्ण दस्तावेज मिलने की संभावना जताई जा रही है। इनके अलावा कुछ सरकारी अधिकारियों, उनके सहयोगियों और प्रभावित जमीन मालिकों से जुड़े स्थानों पर भी छापे चल रहे हैं। बाहर सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं, जिससे किसी को अंदर-बाहर जाने की अनुमति नहीं है।
यह मामला मनी लॉन्डरिंग से जुड़ा है, इसलिए ED ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (PMLA) के तहत जांच शुरू की है। आरोप है कि भूमि अधिग्रहण के दौरान मुआवजे की राशि को फर्जी तरीके से बढ़ाया गया, गलत लोगों को भुगतान किया गया और सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ। पहले की जांच में सामने आया कि कुछ राजस्व अधिकारियों ने निजी दलालों के साथ मिलकर जमीन के रिकॉर्ड में हेरफेर किया, बैकडेटेड विभाजन दिखाए और किसानों के नाम पर जारी मुआवजे को हड़प लिया। EOW ने अक्टूबर 2025 में 7,500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें कम से कम 32 करोड़ रुपये के गबन का खुलासा हुआ था। विपक्षी दल इसे 350 करोड़ से अधिक का घोटाला बता रहे हैं।
भारतमाला परियोजना देश की सबसे बड़ी सड़क विकास योजनाओं में से एक है, जिसे सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 2017 में शुरू किया था। इसका लक्ष्य लगभग 34,800 किलोमीटर लंबे आर्थिक गलियारों का निर्माण करना है, जिसमें आर्थिक कॉरिडोर, इंटर-कॉरिडोर, फीडर रूट्स, राष्ट्रीय गलियारे, तटीय सड़कें और बंदरगाह कनेक्टिविटी शामिल हैं। यह योजना स्वर्णिम चतुर्भुज तथा उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम गलियारों के साथ मिलकर देश में माल ढुलाई का अधिकांश भार संभालने का काम करेगी। छत्तीसगढ़ में रायपुर से विशाखापट्टनम तक का कॉरिडोर इस परियोजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो राज्य की कनेक्टिविटी को मजबूत करने के साथ आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।
इस घोटाले की शुरुआत तब हुई जब राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने अनियमितताओं की शिकायत की। इसके बाद राज्य की एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) और EOW ने अप्रैल 2025 में 20 से अधिक ठिकानों पर छापे मारे। जांच में कई पटवारी, तहसीलदार और अन्य अधिकारियों को निलंबित किया गया। कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया, जिनमें हरमीत सिंह खनूजा और उनके सहयोगी शामिल हैं। अब ED की एंट्री से जांच में नया मोड़ आ गया है, क्योंकि मनी लॉन्डरिंग के कोण से बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।
यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी गरमाहट ला रही है। विपक्षी कांग्रेस ने पहले इस मुद्दे पर CBI जांच की मांग की थी, जबकि सत्ताधारी भाजपा ने राज्य एजेंसियों पर भरोसा जताया। अब ED की सक्रियता से दोनों पक्षों के नेता सतर्क हो गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता जरूरी है, वरना ऐसे घोटाले बार-बार सामने आते रहेंगे।
ED की यह कार्रवाई जारी है और शाम तक महत्वपूर्ण दस्तावेज या डिजिटल सबूत मिलने की संभावना है। जांच के नतीजे आने के बाद कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि विकास परियोजनाओं में भ्रष्टाचार कितना गहरा असर डाल सकता है। उम्मीद है कि सख्त कार्रवाई से दोषियों को सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसी गड़बड़ियां रुकेंगी।
