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ताप्ती नदी के बाढ़ के पानी से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के सीमा क्षेत्र में 250 वर्ग किमी क्षेत्र में एक विशाल जल पुनर्भरण परियोजना तैयार की जाएगी। इस परियोजना का उद्देश्य भूजल स्तर को सुधारना है, और इसके लिए केबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है। इस परियोजना से दोनों प्रदेशों की लगभग 2 लाख 34 हजार 706 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमता हासिल होगी। भारत सरकार इस परियोजना के लिए लगभग 19244 करोड़ रुपये की लागत का 90 प्रतिशत हिस्सा वित्तीय रूप से सहायता प्रदान करेगी, जबकि 10 प्रतिशत योगदान दोनों राज्यों का रहेगा।

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई का सपना होगा साकार
ताप्ती मेगा रीचार्ज प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन भारतीय जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना पानी सहेजने को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का सपना साकार करेगी। अटल जी ने हमेशा पानी की बचत और जलसंसाधनों के संरक्षण पर जोर दिया था, और इस परियोजना के जरिए उनका सपना साकार होगा।

जल बंटवारे का विवाद और समाधान
ताप्ती नदी के जल बंटवारे को लेकर पिछले 39 वर्षों से विवाद चल रहा था। 1958 में हुए एक सर्वेक्षण के आधार पर 1986 में केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बीच जल बंटवारे का समझौता किया था। इसके तहत मध्यप्रदेश को 70 टीएमसी और महाराष्ट्र को 191.41 टीएमसी जल दिया जाना तय हुआ था। बाद में नदी पर 66 टीएमसी क्षमता का एक बांध बनाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन इससे 73 गांव और 6 हजार हेक्टेयर जंगल डूब में आने की संभावना थी। इसके कारण यह प्रोजेक्ट रुक गया।

नए तरीके से जलसंचयन का प्रस्ताव
अब ताप्ती मेगा रीचार्ज प्रोजेक्ट के तहत एक बड़ा बांध बनाने के बजाय 8.31 टीएमसी क्षमता का बैराज बनाया जाएगा। इस योजना से 73 गांव सुरक्षित रहेंगे, और केवल 3928 हेक्टेयर भूमि डूबेगी। इस परियोजना में अब बड़े बांध के स्थान पर कृत्रिम भूजल भंडार बनाने का विचार है।

विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उपाय
2016 में, केंद्र सरकार ने एनआईटी रुड़की के निदेशक की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया था, जिसने सुझाव दिया कि बड़े बांध के बजाय कृत्रिम भूजल भंडार बनाए जाएं। इसके बाद जीआईएस स्टडी, जियोजियाफिजिकल सर्वे, टोपोग्राफिकल सर्वे और लिडार सर्वे किए गए। इसके आधार पर एल्युवियम एक्विफर (जलभराव स्थान) और बाजड़ा जोन की पहचान की गई। यह एक प्राकृतिक भूगर्भीय संरचना है, जो पहाड़ों के बीच स्थित रेत और जलोढ़ मिट्टी से बनी कमजोर सतह होती है। इस क्षेत्र को जल भंडारण के लिए आदर्श माना जाता है।

प्रकल्प के फायदे
इस परियोजना के तहत, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों को सिंचाई का पानी मिलेगा। महाराष्ट्र के जलगांव, चोपड़ा, धारणी और अमरावती क्षेत्र की 2 लाख 34 हजार 706 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर, नेपानगर, खकनार और खालवा में 1 लाख 23 हजार 82 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ मिलेगा।

प्रोजेक्ट का आकार और संरचना
यह देश का सबसे बड़ा ग्राउंड वाटर रीचार्ज प्रोजेक्ट होगा, जिसका कुल अनुमानित बजट 19244 करोड़ रुपये है। इस परियोजना में ताप्ती नदी के भराव क्षेत्र में स्थित दो चट्टानों के बीच पानी भरा जाएगा। इस प्रोजेक्ट में 250 किमी के बाजड़ा जोन को जल पुनर्भरण क्षेत्र के रूप में तैयार किया जाएगा। इसके तहत 8.31 टीएमसी क्षमता का बैराज खंडवा की खालवा और अमरावती के खरिया-गुरीघाट में बनाया जाएगा।

जल बटवारे का तरीका
इस परियोजना के पहले चरण में नदी के दाएं तटबंध पर 221 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जाएगी, जिसमें 110 किमी हिस्सा मध्यप्रदेश में रहेगा। दूसरी नहर नदी के बांये तटबंध पर 135.64 किलोमीटर लंबी बनाई जाएगी, जिसमें 100.442 किमी हिस्सा मध्यप्रदेश में रहेगा। दूसरे चरण में, महाराष्ट्र के सूखे क्षेत्रों को पानी उपलब्ध कराने के लिए बांयी तटबंध नहर के 90.89 किमी दूर 14 किमी लंबी टनल बनाई जाएगी। इस पानी के अतिरिक्त भाग को बाजड़ा जोन में डालकर पुनर्भरण के लिए संरक्षित किया जाएगा।

निष्कर्ष
ताप्ती नदी पर यह मेगा रीचार्ज प्रोजेक्ट न केवल जलसंसाधनों के संरक्षण में मदद करेगा, बल्कि किसानों को सिंचाई के लिए आवश्यक पानी भी उपलब्ध कराएगा। यह परियोजना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जलसंचयन के सपने को सच करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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