बांग्लादेश की इन दिनों अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है। वजह है नोबोल प्राइस विनर यूनुस का अर्थशास्त्र है। स्थिति यह है कि इन दिनों बांग्लादेश की जनता महंगाई से त्राहि त्राहि मची हुई है। बता दें कि जब से बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्तापलट हुआ है तब से देश की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। वहीं मोहम्मद यूनुस की आंतरिम सरकार भी फेल नजर आ रही है, यही वजह है कि देश में रोजमर्रा की चीजों पर महंगाई का बोलबाला बढ़ गया है। वहीं उद्योग भी धीरे-धीरे अलग देशों में सिफ्ट होते जा रहे है।
बांग्लादेश में कितना महंगा हुआ राशन
बांग्लादेश के बाजारों में आज प्याज का दाम 110 से 120 टका प्रति किलो पहुंच गया हैण् प्याज के दाम में बीस प्रतिशत प्रति महीने की दर से इजाफा हो रहा हैण् बात चावल की करें तो चावल का खुदरा रेट 55 से 60 टका प्रति किलो पहुंच गया हैए जो पिछले दाम से 8 फीसदी ज्यादा हैण् बात आलू की करें तो बाजार में आलू 70 टका प्रति किलो बिक रहा हैण् आलू के दाम में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई हैण् और सोयाबीन का तेल 170 टका प्रति लीटर बिक रहा हैण् यहां भी 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ हैण्
जी का जंजाल बना मोहम्मद यूनुस का अर्थशास्त्र
बढ़ती महंगाई की वजह से ग्राहक कम खर्च कर रहे हैंए जिसकी वजह से बाजार का संतुलन बिगड़ गया हैण् मोहम्मद यूनुस के जिस अर्थशास्त्र की मिसाल दुनिया में दी जाती थी, वो बांग्लादेश के लिए जी का जंजाल बन गया है. बांग्लादेश के किसी भी न्यूज चैनल को देख लीजि इन दिनों एक ही खबर आपको नजर आएगी. बढ़ती महंगाई और उसकी वजह से जनता त्राहिमाम करती नजर आ रही है. है बांग्लादेश की कमजोर होती अर्थव्यवस्थाए जिसने बांग्लादेशी जनता को त्रस्त कर दिया है.
क्या है यूनुस सरकार की सबसे बड़ा नाकामी
बांग्लादेश में मौसम अन्न उत्पादन पर असर डालने वाला एक बड़ा फैक्टर हैए लेकिन जानकार मानते हैं कि कमजोर सप्लाई चेन को दुरुस्त ना कर पाना यूनुस सरकार की बड़ी नाकामी रही है. साथ ही भारत के साथ बढ़ते तनाव ने भीए उन खाद्य उत्पादों की कीमत बढ़ाई है जिसका एक हिस्सा बांग्लादेशए भारत से आयात करता था. मोहम्मद यूनुस सरकार ने बढ़ती महंगाई को कम करने की बजाय टैक्स बढ़ाने का फैसला कियाए जो गलत साबित हुआ. सिमकार्ड पर टैक्स बढ़ाने की वजह से एक ही महीने के अंदर बांग्लादेश में 52 लाख मोबाइल सबस्क्राइबर कम हो गए हैं.