by-Ravindra Sikarwar
जैसा कि हम सभी जानते हैं, अयोध्या में भव्य राम मंदिर की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह का पहला चरण, जिसमें भगवान राम लला की मूर्ति की स्थापना और उसके प्राणों का आह्वान किया गया था, अत्यंत भव्यता और धार्मिक उत्साह के साथ संपन्न हुआ था। वह ऐतिहासिक क्षण न केवल भारत के लिए, बल्कि दुनिया भर के राम भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव था। अब, जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है, ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह के दूसरे चरण के विवरण को लेकर उत्सुकता बढ़ती जा रही है, हालांकि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक और विस्तृत घोषणा नहीं की गई है।
पहले चरण का मुख्य ध्यान भगवान राम लला की मूर्ति की स्थापना और उस स्थान को एक जीवंत देवस्थल के रूप में स्थापित करने पर था। ‘प्राण प्रतिष्ठा’ स्वयं में एक अत्यंत गहन और जटिल वैदिक अनुष्ठान है, जो देवता को मंदिर में प्रतिष्ठित करता है और उसे पूजनीय बनाता है।
संभावित ‘चरण 2’ की परिकल्पना:
ऐतिहासिक और धार्मिक परंपराओं के आधार पर, ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के बाद के चरणों में मंदिर के समग्र कार्य और भक्त अनुभव को बढ़ाने के लिए कई गतिविधियां शामिल हो सकती हैं। ‘दूसरा चरण’ उन पहलुओं पर केंद्रित हो सकता है जो पहले चरण के बाद मंदिर को पूरी तरह से कार्यशील और भक्तों के लिए सुलभ बनाते हैं, साथ ही अन्य संबंधित विकास कार्य भी शामिल करते हैं।
1. मंदिर परिसर का पूर्ण विकास और सौंदर्यकरण:
पहला चरण मुख्य गर्भगृह और उसके आसपास केंद्रित था। ‘दूसरा चरण’ शेष मंदिर परिसर के निर्माण, फिनिशिंग और सौंदर्यकरण पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। इसमें शामिल हो सकते हैं:
- अन्य देवी-देवताओं के उप-मंदिरों का निर्माण: राम मंदिर परिसर में भगवान राम के परिवार और अन्य महत्वपूर्ण देवी-देवताओं को समर्पित छोटे मंदिरों का निर्माण।
- प्रवेश द्वार और निकास द्वारों का पूर्ण निर्माण: विशाल और कलात्मक प्रवेश द्वारों (जैसे सिंह द्वार, गणेश द्वार आदि) का अंतिम रूप से निर्माण और उनके आसपास के क्षेत्र का विकास।
- भक्त सुविधाओं का विस्तार: पीने के पानी की व्यवस्था, विश्राम गृह, शौचालय सुविधाओं का स्थायी निर्माण और आधुनिकीकरण।
- हरियाली और लैंडस्केपिंग: मंदिर परिसर के आसपास सुंदर उद्यान, फव्वारे और हरे-भरे क्षेत्र विकसित करना, जो आध्यात्मिक शांति प्रदान करें।
- प्रकाशन और सुरक्षा प्रणाली: रात में मंदिर की सुंदरता को बढ़ाने वाली प्रकाश व्यवस्था और भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली उन्नत सुरक्षा प्रणालियों की स्थापना।
2. सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र का विकास:
म मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र भी है। ‘दूसरा चरण’ इसमें निम्नलिखित योगदान दे सकता है:
- संग्रहालय और प्रदर्शनी हॉल: भगवान राम के जीवन, राम जन्मभूमि के इतिहास और मंदिर के निर्माण से संबंधित कलाकृतियों, पांडुलिपियों और प्रदर्शनियों को प्रदर्शित करने के लिए एक आधुनिक संग्रहालय का निर्माण।
- पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र: धार्मिक ग्रंथों, वेदों और रामायण पर शोध के लिए एक विशाल पुस्तकालय और अकादमिक केंद्र की स्थापना।
- कला और शिल्प केंद्र: स्थानीय कारीगरों को बढ़ावा देने और पारंपरिक भारतीय कला और शिल्प को प्रदर्शित करने के लिए एक केंद्र।
- भक्ति संगीत और प्रवचन हॉल: नियमित रूप से भक्ति संगीत समारोहों, प्रवचनों और धार्मिक सभाओं के आयोजन के लिए एक वातानुकूलित हॉल का निर्माण।
3. अयोध्या नगरी का समग्र विकास (पर्दे के पीछे):
यद्यपि यह सीधे मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ से संबंधित नहीं है, ‘दूसरा चरण’ अयोध्या शहर के समग्र बुनियादी ढांचे के विकास के साथ तालमेल बिठा सकता है, ताकि भक्तों और पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिल सके:
- सड़क संपर्क और पार्किंग: मंदिर तक पहुंचने के लिए बेहतर सड़कों और पर्याप्त पार्किंग सुविधाओं का विकास।
- आवास विकल्प: भक्तों के लिए किफायती से लेकर प्रीमियम तक विभिन्न प्रकार के आवास विकल्पों का विस्तार।
- पर्यटन सुविधाएं: अयोध्या के आसपास के अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों को जोड़ने वाले पर्यटन सर्किट का विकास।
4. विशेष धार्मिक अनुष्ठान और उत्सव:
पहले चरण में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ पर ध्यान केंद्रित किया गया था। ‘दूसरे चरण’ में विशिष्ट धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ और उत्सव शामिल हो सकते हैं जो मंदिर के उद्घाटन के बाद निरंतर किए जाएंगे:
- पहला वार्षिक स्थापना दिवस समारोह: भव्यता के साथ पहला वार्षिक स्थापना दिवस समारोह मनाना।
- विभिन्न हिंदू त्योहारों पर विशेष पूजा: जैसे रामनवमी, दशहरा, दिवाली आदि पर मंदिर में विशेष और बड़े पैमाने पर पूजा और आयोजन।
निष्कर्ष:
अयोध्या राम मंदिर की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह का ‘दूसरा चरण’ (यदि ट्रस्ट इस शब्द का उपयोग करता है) एक सतत प्रक्रिया का हिस्सा होगा, जिसका लक्ष्य राम मंदिर को केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक विश्वस्तरीय सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और पर्यटन केंद्र बनाना होगा। यह भक्तों को भगवान राम की लीलाओं और भारत की समृद्ध विरासत से जुड़ने का एक गहरा और सार्थक अवसर प्रदान करेगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा जल्द ही इन संभावित योजनाओं पर अधिक विस्तृत और आधिकारिक घोषणाओं का इंतजार रहेगा।