by-Ravindra Sikarwar
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि इस कदम से जम्मू-कश्मीर के "भारत से एक अलग इकाई होने की धारणा" समाप्त हो गई है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब वह एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में इंडोनेशिया के दौरे पर हैं, जहां वे विदेशी थिंक टैंक और शिक्षाविदों के साथ बातचीत कर रहे हैं।
अनुच्छेद 370 का प्रभाव और खुर्शीद का दृष्टिकोण:
खुर्शीद ने स्वीकार किया कि लंबे समय से कश्मीर की एक “बड़ी समस्या” रही है, जिसका काफी हद तक संविधान के अनुच्छेद 370 में दिखाई देता था। उनके अनुसार, यह अनुच्छेद कहीं न कहीं यह आभास देता था कि जम्मू-कश्मीर देश के बाकी हिस्सों से अलग है। उन्होंने कहा, “कश्मीर में लंबे समय से एक बड़ी समस्या थी। इसका अधिकांश हिस्सा संविधान के अनुच्छेद 370 में सरकार की सोच में झलकता था, जिससे यह धारणा बनती थी कि यह देश के बाकी हिस्सों से अलग है। लेकिन अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया और आखिरकार इसे समाप्त कर दिया गया।”
लोकतांत्रिक प्रगति और समृद्धि पर जोर:
खुर्शीद ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में हुई लोकतांत्रिक प्रगति और समृद्धि पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसके बाद हुए चुनावों में 65% मतदाताओं ने भाग लिया और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में एक चुनी हुई सरकार का गठन हुआ है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि जो कुछ भी हुआ है, उसे “पूर्ववत” करना उचित नहीं होगा, क्योंकि इससे क्षेत्र में आई “समृद्धि” को धक्का लगेगा। उनके इस बयान को कांग्रेस के आधिकारिक रुख से थोड़ा अलग देखा जा रहा है, क्योंकि पार्टी ने शुरुआत में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का विरोध किया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस फैसले को बरकरार रखने के बाद कांग्रेस ने इसे कानूनी रूप से सुलझा हुआ मामला मान लिया है।
ऑपरेशन सिंदूर और राजनयिक पहुंच:
सलमान खुर्शीद, जनता दल (यूनाइटेड) सांसद संजय कुमार झा के नेतृत्व में एक बहुदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं। यह प्रतिनिधिमंडल इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर का दौरा कर रहा है, जिसका उद्देश्य विदेशी नीति निर्माताओं के साथ जुड़ना और उन्हें भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा पहल, जिसमें “ऑपरेशन सिंदूर” भी शामिल है, के बारे में जानकारी देना है। इस दौरान, खुर्शीद ने भारतीय पक्ष को मजबूती से प्रस्तुत किया है।
यह टिप्पणी जम्मू-कश्मीर के भविष्य और भारतीय संघ के साथ उसके एकीकरण को लेकर चल रही बहस में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। यह दर्शाता है कि राजनीतिक स्पेक्ट्रम के विभिन्न हिस्सों से भी कुछ नेता अब अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद के सकारात्मक परिणामों को स्वीकार कर रहे हैं।