by-Ravindra Sikarwar
नई दिल्ली, भारत – आगामी मानसून सत्र से पहले, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद सदस्यों से अपील की है कि वे सदन की कार्यवाही में व्यवधान कम करें और सार्थक चर्चा में भाग लें। उनकी यह अपील ऐसे समय में आई है जब पिछले कुछ सत्रों में, विशेष रूप से महत्वपूर्ण विधेयकों और मुद्दों पर, संसद में लगातार हंगामे और स्थगन के कारण कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
अध्यक्ष की अपील का महत्व:
ओम बिरला ने संसदीय कार्यवाही की गरिमा और प्रभावशीलता पर जोर दिया है। उनकी अपील के मुख्य बिंदु और महत्व इस प्रकार हैं:
- सार्थक बहस पर जोर: अध्यक्ष का मानना है कि संसद केवल विरोध प्रदर्शन का मंच नहीं है, बल्कि यह देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर गंभीर और सार्थक बहस के लिए एक मंच है। बार-बार होने वाले व्यवधानों से जनता के मुद्दों पर चर्चा का समय बर्बाद होता है।
- जनता की अपेक्षाएं: ओम बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि जनता सांसदों से अपेक्षा करती है कि वे उनके मुद्दों को उठाएं और कानूनों पर प्रभावी ढंग से बहस करें। हंगामे और स्थगन से जनता में निराशा पैदा होती है और संसद की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।
- कानून बनाने की प्रक्रिया: संसद का प्राथमिक कार्य कानून बनाना है। व्यवधानों के कारण कई महत्वपूर्ण विधेयक बिना पर्याप्त चर्चा के पारित हो जाते हैं या अटक जाते हैं, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर होती है।
- समय और संसाधनों का नुकसान: संसदीय सत्रों में होने वाले हर व्यवधान से बहुमूल्य समय और सार्वजनिक धन का नुकसान होता है।
पिछले सत्रों का अनुभव:
पिछले कुछ संसदीय सत्रों में, विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच गतिरोध के कारण लोकसभा और राज्यसभा दोनों में भारी व्यवधान देखने को मिला है। विपक्ष अक्सर सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने के लिए नारेबाजी, वॉकआउट और वेल में आकर विरोध प्रदर्शन करता रहा है। जबकि ये लोकतांत्रिक विरोध के वैध तरीके हैं, अध्यक्ष और कई अन्य नेताओं का मानना है कि इन्हें इस हद तक नहीं जाना चाहिए जिससे सदन का कामकाज पूरी तरह ठप हो जाए।
उदाहरण के लिए, पिछले सत्रों में महंगाई, बेरोजगारी, जातिगत जनगणना, मणिपुर हिंसा और अदाणी मुद्दे जैसे विषयों पर विपक्ष ने लगातार विरोध प्रदर्शन किया, जिसके कारण कई बार सदन की कार्यवाही बाधित हुई।
मानसून सत्र की चुनौतियां और उम्मीदें:
आगामी मानसून सत्र कई महत्वपूर्ण विधेयकों और मुद्दों के साथ आने वाला है। कुछ प्रमुख विषय जिन पर चर्चा होने की संभावना है:
- महत्वपूर्ण विधेयक: सरकार कई नए विधेयक पेश कर सकती है और कुछ लंबित विधेयकों को पारित कराने का प्रयास करेगी। इनमें आर्थिक सुधारों, सामाजिक न्याय और अन्य क्षेत्रों से संबंधित विधेयक शामिल हो सकते हैं।
- वर्तमान मुद्दे: देश में चल रहे आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर विपक्ष द्वारा सरकार को घेरने की उम्मीद है। मानसून की स्थिति, कृषि मुद्दे और अन्य प्रासंगिक विषय चर्चा के केंद्र में रह सकते हैं।
- नई सरकार का पहला पूर्ण सत्र: 2024 के आम चुनाव के बाद, यह नई सरकार का पहला पूर्ण मानसून सत्र होगा। विपक्ष सरकार को उसकी नीतियों और प्रदर्शन पर अधिक आक्रामक तरीके से चुनौती देने की कोशिश कर सकता है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अपील का उद्देश्य एक ऐसा माहौल बनाना है जहां सांसद अपने मतभेदों के बावजूद रचनात्मक रूप से जुड़ सकें और देश के हित में काम कर सकें। हालांकि, राजनीतिक ध्रुवीकरण के मौजूदा माहौल को देखते हुए, यह देखना होगा कि उनकी अपील का सांसदों पर कितना असर होता है और क्या आगामी मानसून सत्र अधिक सुचारु रूप से चल पाएगा।