by-Ravindra Sikarwar
चेन्नई: अन्ना विश्वविद्यालय में पिछले साल दिसंबर में हुए यौन उत्पीड़न मामले में आज एक महत्वपूर्ण फैसला आया है। चेन्नई की महिला अदालत ने इस मामले के मुख्य आरोपी ज्ञानशेखरन को सभी 11 आरोपों में दोषी करार दिया है, जिनमें यौन उत्पीड़न, ब्लैकमेलिंग और बलात्कार के आरोप शामिल हैं। अदालत अब 2 जून को ज्ञानशेखरन को सुनाई जाने वाली सज़ा पर अपना फैसला सुनाएगी।
यह मामला दिसंबर 2024 में सामने आया था जब अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में एक 19 वर्षीय छात्रा के साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न हुआ था। छात्रा ने शिकायत दर्ज कराई थी कि जब वह अपने पुरुष मित्र के साथ परिसर में थी, तब ज्ञानशेखरन ने उन्हें धमकी दी, उसके दोस्त के साथ मारपीट की और फिर छात्रा का यौन उत्पीड़न किया। आरोप है कि ज्ञानशेखरन ने इस घटना को अपने मोबाइल फोन में रिकॉर्ड भी किया और बाद में उस फुटेज का इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के लिए किया।
इस घटना ने पूरे तमिलनाडु में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया था और सार्वजनिक तथा राजनीतिक हलकों में तीखी बहस छिड़ गई थी। तमिलनाडु पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए ज्ञानशेखरन को 25 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया था।
मामले की संवेदनशीलता और सार्वजनिक आक्रोश को देखते हुए, मद्रास उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया और 28 दिसंबर, 2024 को मामले की गहन जांच के लिए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। एसआईटी ने फरवरी 2025 में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, सैदापेट में एक विस्तृत आरोप पत्र दाखिल किया, जिसमें वैज्ञानिक साक्ष्य, सीसीटीवी फुटेज और गवाहों के बयानों को शामिल किया गया था। इसके बाद मामला महिला अदालत को सौंप दिया गया, जिसने ज्ञानशेखरन के खिलाफ आरोप तय किए।
इस मामले ने उस समय भी विवाद खड़ा कर दिया था जब तमिलनाडु पुलिस ने अपनी वेबसाइट पर इस मामले की एफआईआर अपलोड कर दी थी, जिससे पीड़िता की पहचान संबंधी संवेदनशील विवरण सार्वजनिक हो गए थे। इस चूक की कानूनी विशेषज्ञों, कार्यकर्ताओं और जनता द्वारा व्यापक रूप से निंदा की गई थी, जिन्होंने अधिकारियों पर पीड़िता की गोपनीयता बनाए रखने में विफल रहने का आरोप लगाया था। मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले में पुलिस की “गंभीर चूक” पर भी कड़ी टिप्पणी की थी और पीड़िता को ₹25 लाख का अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया था।
ज्ञानशेखरन पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए थे, जिनमें बलात्कार के लिए धारा 63 (ए) और 64 (1) और यौन उत्पीड़न के लिए 75 (1) (ii) और (iii) शामिल हैं। इसके अलावा, ज्ञानशेखरन पर आपराधिक धमकी, अपहरण, और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम के तहत भी आरोप लगे थे। यह भी सामने आया कि ज्ञानशेखरन पर पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज थे।
आज के फैसले को महिलाओं की सुरक्षा और शैक्षणिक संस्थानों में सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। अब सबकी निगाहें 2 जून पर टिकी हैं, जब महिला अदालत इस जघन्य अपराध के लिए ज्ञानशेखरन को सज़ा सुनाएगी।