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रतलाम: रतलाम के बिलपांक गांव में स्थित बाबा भोलेनाथ का मंदिर भूल भुलैया वाले मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यहां भगवान शिव विरुपाक्ष महादेव के नाम से विराजित हैं. 64 खंभों की जमावट वाली ऐसी वास्तुकला से इस मंदिर का निर्माण हुआ है कि गिनती करने वाला गिनती भूल जाता है.

परमार कालीन इस मंदिर को भूल भुलैया वाला मंदिर भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर होने वाले यज्ञ की पूर्णाहुति पर मिलने वाली खीर प्रसादी को ग्रहण करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति हो जाती है. भगवान विरुपाक्ष महादेव के इस खास आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

वास्तुशिल्प का अद्भुत नमूना

रतलाम से करीब 20 किलोमीटर दूर बिलपांक गांव में भगवान विरुपाक्ष महादेव का यह प्राचीन मंदिर स्थित है. मंदिर के पुजारी दुर्गाशंकर ओझा बताते हैं कि “इतिहासकारों के अनुसार यह परमार कालीन मंदिर है. जिसका जीर्णोद्धार आज से करीब 1000 वर्ष पहले गुजरात के राजा सिद्धराज जय सिंह ने करवाया था. यहां मौजूद परमारकालीन और मौर्यकालीन वास्तुशिल्प मंदिर के अति प्राचीन होने की संभावना दर्शाती है. यहां मौजूद खंभों की सही गिनती संभव नहीं है. इस प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर में श्रद्धालु संतान प्राप्ति का आशीर्वाद लेने और मनोकामना पूर्ण होने की आस लेकर दूर-दूर से हजारों की संख्या यहां पहुंचते हैं.”

खंभों की भूल भुलैया की गिनती नामुमकिन

बिलपांक गांव स्थित भगवान विरुपाक्ष का यह मंदिर खंभों की भूल भुलैया की वजह से भी प्रसिद्धि है. वैसे तो इस मंदिर में 64 खंभे हैं. लेकिन जब इनकी गिनती की जाती है तो यह गिनती कम या ज्यादा हो जाती है. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु भी मंदिर में पहुंच कर खंभों की गिनती करने का प्रयास करते हैं लेकिन उन्हें असफलता ही हाथ लगती है. ग्रामीणों की माने तो कई लोगों ने मिलकर इसकी गणना करने का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिल सकी. खंभों की इस अनोखी भूल भुलैया में अच्छे से अच्छे गणितज्ञ का दिमाग भी चकरा जाता है.

यज्ञ की प्रसादी से संतान प्राप्ति की मान्यता

यहां स्थित महादेव मंदिर पर प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के मौके पर एक विशेष यज्ञ का आयोजन किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यज्ञ की पूर्णाहुति होने पर प्रसादी के रूप में वितरित की जाने वाली खीर का सेवन करने पर संतान की प्राप्ति होती है. संतान प्राप्ति होने के अगले वर्ष लोग अपनी मन्नत का चढ़ावा चढ़ाने यहां पहुंचते हैं और मन्नत अनुसार बच्चों को मिठाई, फल और अन्य सामग्री से तौलते हैं. यहाँ पधारे श्रद्धालुओं ने बताया कि “पिछले वर्ष यहां से खीर की प्रसादी प्राप्त की थी. भगवान शिव ने हमारे परिवार की झोली खुशियों से भर दी है. ऐसे एक नहीं कई परिवार यहां पहुंच कर भगवान विरुपाक्ष महादेव के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं.”

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