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by-Ravindra Sikarwar

जैसे-जैसे भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव बढ़ रहा है, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत को टैरिफ की धमकी के बाद, बीजेपी नेता बायजयंत पांडा ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने अमेरिका के पूर्व राजनयिक हेनरी किसिंजर के एक मशहूर उद्धरण का उल्लेख किया, जो मौजूदा कूटनीतिक स्थिति को दर्शाता है।

क्या है मामला?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के दिनों में भारत पर रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदने को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत इस व्यापार से रूस के यूक्रेन युद्ध को “वित्तपोषित” कर रहा है। ट्रंप ने भारत पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी देते हुए कहा है कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करता है तो अमेरिका भारतीय आयात पर और भी भारी शुल्क लगाएगा।

अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रंप ने कहा, “भारत न केवल भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि वे उस तेल को खुले बाजार में बड़े मुनाफे पर बेच भी रहे हैं। उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि रूसी युद्ध मशीन से यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं। इस वजह से, मैं भारत द्वारा अमेरिका को दिए जाने वाले टैरिफ को काफी बढ़ा रहा हूँ।”

भारत का करारा जवाब:
ट्रंप की इस टिप्पणी के कुछ ही घंटों बाद, भारत ने एक तीखा जवाब दिया। भारत सरकार ने अमेरिका और यूरोपीय संघ की “अनुचित और तर्कहीन” आलोचना को खारिज कर दिया। भारत ने अपने बयान में कहा कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से तेल आयात कर रहा है। इसके साथ ही भारत ने उन देशों के दोहरे मापदंडों की ओर भी इशारा किया जो खुद रूस के साथ व्यापार संबंध बनाए हुए हैं।

भारत ने साफ किया कि वह अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।

किसिंजर का उद्धरण और बीजेपी नेता का संदेश:
इस पूरे विवाद के बीच, बीजेपी नेता बायजयंत पांडा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर हेनरी किसिंजर का एक उद्धरण साझा किया, जिसमें लिखा था, “अमेरिका का दुश्मन होना खतरनाक हो सकता है, लेकिन उसका दोस्त होना घातक है।” पांडा ने इसे एक “कालातीत बयान” (timeless statement) बताया। उनके इस ट्वीट से यह संकेत मिलता है कि भारत को अमेरिकी दबाव के आगे झुकना नहीं चाहिए और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम रहना चाहिए।

इस समय भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर भी बातचीत चल रही थी, लेकिन भारत के कृषि और डेयरी बाजारों को न खोलने के कड़े रुख के कारण यह बातचीत रुक गई है।

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