by-Ravindra Sikarwar
नई दिल्ली: हवाई यात्रा को बाधित करने वाली फर्जी बम धमकियों का सिलसिला इस साल भी जारी है। एक लिखित जवाब में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 20 जुलाई, 2025 तक देश भर की विमानन कंपनियों को कुल 69 फर्जी बम धमकियां मिली हैं। हालांकि यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले काफी कम है, लेकिन यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चिंता का विषय बना हुआ है।
पिछले वर्षों के आंकड़े:
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि फर्जी बम धमकियों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव आया है:
- 2024 में: विमानन कंपनियों को कुल 728 फर्जी बम धमकियां मिली थीं, जो अब तक का सबसे अधिक आंकड़ा है। यह दर्शाता है कि पिछले साल किस हद तक ऐसी घटनाओं ने एयरलाइन संचालन और यात्रियों की सुरक्षा पर दबाव डाला था।
- 2023 में: यह संख्या 71 थी।
- 2022 में: केवल 13 फर्जी बम धमकियां दर्ज की गई थीं, जो हाल के वर्षों में सबसे कम थी।
चिंता का विषय और निहितार्थ:
फर्जी बम धमकियां न केवल सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती हैं, बल्कि इनके कई गंभीर निहितार्थ भी होते हैं:
- परिचालन में बाधा: ऐसी धमकियों के कारण अक्सर उड़ानों में देरी होती है, विमानों को खाली कराया जाता है और गहन सुरक्षा जांच की जाती है, जिससे एयरलाइन कंपनियों को भारी वित्तीय नुकसान होता है।
- यात्रियों की परेशानी: यात्रियों को लंबी प्रतीक्षा और अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव और असुविधा होती है।
- संसाधनों का दुरुपयोग: सुरक्षा एजेंसियों को हर धमकी को गंभीरता से लेना पड़ता है, चाहे वह फर्जी ही क्यों न हो। इससे महत्वपूर्ण संसाधनों का दुरुपयोग होता है जिन्हें वास्तविक खतरों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
- कानूनी परिणाम: फर्जी बम धमकी देने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाती है, जिसमें गिरफ्तारी और कड़ी सजा का प्रावधान है।
हालांकि 2025 में अब तक धमकियों की संख्या में कमी आई है, यह महत्वपूर्ण है कि सुरक्षा एजेंसियां और एयरलाइंस सतर्क रहें और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अपनी प्रक्रियाओं को लगातार मजबूत करें। क्या इन धमकियों में कमी का कारण सख्त सुरक्षा उपाय हैं या कुछ और?