
भोपाल: मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह के शासनकाल के दौरान अनुदान लेने वाले मदरसों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई थी। हालांकि, दिग्विजय सरकार के बाद इनकी संख्या घटने लगी और पिछले 23 वर्षों में यह संख्या आधे से भी कम हो गई है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में मदरसों के लिए सख्त नियम और कानून बनाए गए हैं, जिनकी वजह से कई मदरसा संचालकों ने अपनी मान्यता को रद्द कर दिया। इसके बावजूद, बड़ी संख्या में गैर मान्यता प्राप्त मदरसे अब भी संचालित हो रहे हैं, जो प्रशासन के नियंत्रण से बाहर हैं।
मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार, 2003 से पहले प्रदेश में कुल 2845 मान्यता प्राप्त मदरसे थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर सिर्फ 1260 रह गई है। मदरसों की मान्यता जिलाधीश और जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा निरीक्षण के बाद, उनकी अनुशंसा और रिपोर्ट के आधार पर दी जाती है। यह प्रक्रिया मप्र मदरसा बोर्ड अधिनियम 1998 की धारा 8-2(क) के तहत होती है।
इन मदरसों के लिए कई शर्तें निर्धारित की गई हैं, जिनमें छात्रों के स्वास्थ्य, सृजनात्मक विकास, खेलकूद और तकनीकी शिक्षा का प्रावधान है। हालांकि, कई मदरसे छोटे कमरे या हॉल में चल रहे हैं, जहां इन शर्तों का पालन करना मुश्किल है। इन मदरसों में न तो खेलकूद और मनोरंजन की कोई व्यवस्था है, न ही अन्य आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं।
मान्यता प्राप्त मदरसों में छात्रों को अरबी, उर्दू, दीनियात, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। वहीं, गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में यह व्यवस्था नहीं होती और इनकी गुणवत्ता में भी कमी देखी जाती है।
मध्यप्रदेश के कालापीपल विधानसभा क्षेत्र में तीन मदरसे
कालापीपल विधायक धनश्याम रघुवंशी ने जानकारी दी कि उनके क्षेत्र में तीन मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हैं। इनमें मदरसा कन्या राजीव मेमोरियल कॉन्वेंट स्कूल रिछड़ी (कक्षा 1 से 5 तक 58 छात्र), मदरसा राजीव मेमोरियल कान्वेंट बकायन (कक्षा 1 से 5 तक 93 छात्र) और मदरसा अब्दुल हमीद मेमोरियल खरदौन खुर्द (कक्षा 1 से 8 तक 110 छात्र) शामिल हैं। इन मदरसों में कुल 9 शिक्षक छात्रों को पढ़ाते हैं।
इन मदरसों में मप्र मदरसा बोर्ड द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के तहत दीनी और आधुनिक विषयों का अध्ययन कराया जाता है। रिछड़ी और बकायन के मदरसे जलील खां और खरदौन का मदरसा डॉ. इरसाद चलाते हैं। इन संचालकों का कहना है कि, “मान्यता प्राप्त मदरसों में कुछ मामलों में शिक्षक सिर्फ डिग्री दिखाकर नियुक्ति लेते हैं, जबकि वे मदरसे में जाकर छात्रों को सामान्य विषय नहीं पढ़ाते। ऐसे शिक्षक घर बैठे 3-4 हजार रुपये कमाते हैं। हम प्रशासन से इन मदरसों की जांच और गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे।”
इस स्थिति से स्पष्ट होता है कि मध्यप्रदेश में मदरसों की व्यवस्था में कई चुनौतियां हैं, और इन्हें सुधारने की आवश्यकता है।