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by-Ravindra Sikarwar

दमोह: दमोह जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, जहां ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस प्रशासन का नियंत्रण ढीला पड़ गया है। एक ताजा घटना में, हटा के रनेह में पदस्थ एक महिला डॉक्टर नीलमा यादव पर चलती बस रुकवाकर एक युवक के साथ मारपीट करने और गाली-गलौज करने का आरोप लगा है। इस घटना ने स्वास्थ्य कर्मियों के व्यवहार और जिले में बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पीड़ित युवक ने पुलिस अधीक्षक से शिकायत की है कि यह घटना रनेह में हुई। उसके अनुसार, डॉक्टर नीलमा यादव (जिन्हें नर्स के रूप में भी संदर्भित किया गया है, हालांकि प्राथमिक शिकायत में डॉक्टर बताया गया है) ने चलती बस के चालक को फोन करके बस रुकवाई। बस रुकने के बाद, महिला ने युवक के साथ अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुए गाली-गलौज शुरू कर दी और उसे चप्पलों से पीटना शुरू कर दिया। इस पूरी घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें कथित तौर पर महिला ही गाली देती और मारपीट करती दिख रही है।

युवक का आरोप है कि इस मारपीट के बाद, महिला ने उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज करा दी। पीड़ित ने अपनी शिकायत में कहा है कि वीडियो में स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि गलती महिला की है और उसी ने मारपीट की है। उसने पुलिस अधीक्षक से इस मामले में उचित और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है।

यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब दमोह जिले में अधिकारियों के कथित तौर पर अपने कार्यालयों में बैठकर काम करने और कर्मचारियों के “मनमाने” रवैये को लेकर आम जनता में असंतोष बढ़ रहा है। चिकित्सकों और नर्सों को अक्सर “भगवान का रूप” माना जाता है, ऐसे में एक स्वास्थ्यकर्मी द्वारा इस तरह की सार्वजनिक हिंसक घटना को अंजाम देना समाज में एक गलत संदेश देता है और लोगों के भरोसे को तोड़ता है।

पुलिस प्रशासन पर इस मामले में निष्पक्षता से जांच करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है, ताकि कानून-व्यवस्था में जनता का विश्वास बहाल हो सके।

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