by-Ravindra Sikarwar
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में सोनवानी अभयारण्य से एक बाघिन का शव रहस्यमय ढंग से गायब हो गया है। इस घटना ने वन विभाग के कर्मचारियों पर लापरवाही और सबूतों को मिटाने के आरोपों को जन्म दिया है।
घटना का विवरण:
सूत्रों के अनुसार, 2 अगस्त को सोनवानी वन्यजीव संरक्षण समिति के एक निजी व्हाट्सएप ग्रुप पर बाघिन के शव की तस्वीर प्रसारित हुई थी, जिसके तुरंत बाद वह शव गायब हो गया। आरोप है कि कुछ वन कर्मचारियों ने 27 से 30 जुलाई के बीच शव को तीन अलग-अलग स्थानों पर गुप्त रूप से जला दिया, ताकि शिकार के सबूतों को मिटाया जा सके।
प्रारंभिक जांच के बाद, वन विभाग ने एक वन रक्षक और एक वनपाल को निलंबित कर दिया है, जबकि छह चौकीदारों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। लालबर्रा और वारासिवनी रेंज की खोज टीमों को भी उस स्थान पर शव नहीं मिला, जहां वायरल तस्वीर में उसे देखा गया था।
संरक्षणवादियों की चिंता:
वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने इस घटना को शिकार को छिपाने का प्रयास बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बाघिन के पंजे गायब थे और वह इस मामले की रिपोर्ट राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और अन्य नियामक निकायों को कर रहे हैं।
सोनवानी अभयारण्य में 40 से अधिक बाघों की मौजूदगी को देखते हुए, यह घटना संरक्षणवादियों के लिए चिंता का विषय बन गई है। अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच जारी है।
इस घटना ने एक बार फिर मध्य प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण की चुनौतियों और वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।