by-Ravindra Sikarwar
चेन्नई: तमिलनाडु में एक आदिवासी व्यक्ति की मौत को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। मृतक की पहचान मारिमुथु के रूप में हुई है, जो 30 जुलाई को लापता हो गया था और बाद में वन विभाग के कार्यालय के शौचालय में उसका शव मिला।
अधिकारियों का दावा है कि यह आत्महत्या का मामला है, लेकिन मारिमुथु के परिवार और उनके समुदाय के लोगों ने इसे सिरे से नकार दिया है। उनका कहना है कि मारिमुथु की मौत हिरासत में हुई हिंसा के कारण हुई है। परिवार के मुताबिक, हाल ही में मारिमुथु को एक गांजे के मामले में बरी किया गया था, जिससे यह संदेह और गहरा हो गया है।
क्या कहती है पुलिस और वन विभाग?
वन विभाग का कहना है कि वे मारिमुथु से कुछ दुर्लभ जानवरों के अंगों के बारे में पूछताछ कर रहे थे। इसी दौरान, शौचालय में उसका शव मिला। इस घटना के बाद से, स्थानीय लोग और आदिवासी समुदाय के सदस्य न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
चल रही है आधिकारिक जाँच:
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, एक आधिकारिक जाँच शुरू की गई है। इस जाँच का मकसद मारिमुथु की मौत के पीछे की असली वजह का पता लगाना है। परिवार और समर्थकों का आरोप है कि पुलिस और वन अधिकारियों ने मिलकर मामले को दबाने की कोशिश की है। यह घटना प्रशासन के कामकाज और हिरासत में लिए गए लोगों के अधिकारों पर कई सवाल खड़े करती है।
इस मामले पर आगे की जाँच और उसके निष्कर्षों पर सभी की नज़र है, क्योंकि इससे तमिलनाडु में आदिवासी अधिकारों और पुलिस की जवाबदेही को लेकर चल रही बहस और तेज़ हो सकती है।