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by-Ravindra Sikarwar

वाशिंगटन डी.सी., संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने एक बड़ा और विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि संयुक्त राज्य अमेरिका चीनी छात्रों के वीजा रद्द करना शुरू कर देगा। यह कार्रवाई मुख्य रूप से उन छात्रों पर लक्षित होगी जिनका चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) से संबंध है या जो महत्वपूर्ण और संवेदनशील शैक्षणिक क्षेत्रों में अध्ययन कर रहे हैं। रुबियो ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए यह कदम उठाया है, जिसमें जासूसी और बौद्धिक संपदा की चोरी का खतरा शामिल है।

वीजा रद्द करने के पीछे अमेरिका का तर्क:
रुबियो ने अपने बयान में कहा कि चीन की सरकार अमेरिकी विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों का इस्तेमाल जासूसी करने, प्रौद्योगिकी चुराने और अपनी राजनीतिक विचारधारा का प्रचार करने के लिए कर रही है। उन्होंने विशेष रूप से उन चीनी छात्रों पर चिंता जताई जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पढ़ाई कर रहे हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में प्राप्त ज्ञान का इस्तेमाल चीन की सैन्य और खुफिया एजेंसियों द्वारा किया जा सकता है।

अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि कई चीनी छात्र, विशेष रूप से सीसीपी से जुड़े लोग, अमेरिकी विश्वविद्यालयों में स्वतंत्र विचारों और शैक्षणिक स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे छात्रों की उपस्थिति अमेरिकी संस्थानों की सुरक्षा और मूल्यों के लिए खतरा है।

किन छात्रों पर होगा असर:
इस नई नीति के तहत, अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास वीजा आवेदनों की गहन जांच करेंगे और पहले से जारी किए गए वीजा की भी समीक्षा करेंगे। निम्नलिखित श्रेणियों के चीनी छात्रों पर वीजा रद्द होने का खतरा अधिक होगा:

  • चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य और उनके परिवार के सदस्य: यदि किसी छात्र या उनके करीबी परिवार के सदस्यों का सीसीपी से सीधा संबंध पाया जाता है, तो उनका वीजा रद्द किया जा सकता है।
  • संवेदनशील क्षेत्रों में अध्ययन करने वाले छात्र: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, उन्नत हथियार प्रणाली, और अन्य सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पढ़ाई करने वाले छात्रों की विशेष निगरानी की जाएगी।
  • चीनी सरकार या सैन्य संस्थानों से जुड़े छात्र: जो छात्र चीन सरकार द्वारा प्रायोजित हैं या जिनका चीनी सैन्य संस्थानों से संबंध है, उन्हें वीजा रद्द करने का सामना करना पड़ सकता है।
  • जासूसी या बौद्धिक संपदा की चोरी में संदिग्ध: यदि किसी छात्र पर जासूसी या अमेरिकी बौद्धिक संपदा की चोरी में शामिल होने का संदेह होता है, तो उनका वीजा तत्काल रद्द कर दिया जाएगा।

चीन की संभावित प्रतिक्रिया:
अमेरिका के इस कदम से चीन की तीखी प्रतिक्रिया आने की संभावना है। चीनी विदेश मंत्रालय पहले भी ऐसे आरोपों को खारिज कर चुका है और अमेरिका पर “शीत युद्ध मानसिकता” अपनाने का आरोप लगा चुका है। चीन इस कदम को चीनी छात्रों के साथ भेदभाव और दोनों देशों के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान को बाधित करने का प्रयास बता सकता है।

यह भी संभावना है कि चीन जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी छात्रों और शिक्षाविदों के लिए वीजा प्रतिबंध लगा सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है।

शैक्षणिक संस्थानों पर प्रभाव:
अमेरिकी विश्वविद्यालयों पर इस नीति का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। कई अमेरिकी विश्वविद्यालय बड़ी संख्या में चीनी छात्रों पर निर्भर करते हैं, जो न केवल ट्यूशन फीस के माध्यम से राजस्व का एक बड़ा स्रोत हैं, बल्कि अनुसंधान और शैक्षणिक गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वीजा रद्द होने की स्थिति में, विश्वविद्यालयों को छात्रों की संख्या में कमी और संभावित रूप से अनुसंधान परियोजनाओं में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

कुछ अमेरिकी शिक्षाविदों ने भी इस नीति पर चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि यह प्रतिभाशाली छात्रों को अमेरिका में पढ़ने से रोकेगा और शैक्षणिक स्वतंत्रता को सीमित करेगा। उनका तर्क है कि छात्रों के व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर व्यापक वीजा रद्द करना अनुचित है और इससे अमेरिका की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

भारत पर संभावित प्रभाव:
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव का भारत पर भी कुछ अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है। यदि चीनी छात्रों के लिए अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करना कठिन हो जाता है, तो वे भारत जैसे अन्य देशों का रुख कर सकते हैं, जिससे भारतीय शैक्षणिक संस्थानों पर दबाव बढ़ सकता है। हालांकि, यह भारतीय छात्रों के लिए अमेरिकी विश्वविद्यालयों में अधिक अवसर भी पैदा कर सकता है।

कुल मिलाकर, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो का यह बयान अमेरिका-चीन संबंधों में एक नया मोड़ ला सकता है। राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं और शैक्षणिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाना एक जटिल चुनौती होगी, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। इस नीति के कार्यान्वयन और चीन की प्रतिक्रिया पर वैश्विक समुदाय की नजरें टिकी रहेंगी।

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