
बीजापुर जिले में पिछले चार दिनों से नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान चल रहा है।
बीजापुर में बड़ी मुठभेड़:
छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में बुधवार से नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच भीषण मुठभेड़ जारी है। इस नक्सल विरोधी कार्रवाई को अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन बताया जा रहा है, जिसमें हजारों जवान शामिल हैं। कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर चल रही यह मुठभेड़ 120 घंटे से अधिक समय से जारी है। इस ऑपरेशन में शामिल कई जवान हेलीकॉप्टर द्वारा बीजापुर लौट चुके हैं और उनके स्थान पर अतिरिक्त सुरक्षा कर्मियों को वापस कर्रेगुट्टा पहाड़ी की ओर भेजा जा रहा है।
तीन राज्यों की संयुक्त कार्रवाई:
लगभग 290 किलोमीटर लंबी कर्रेगुट्टा की पहाड़ी, जो छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना तक फैली हुई है, नक्सलियों का गढ़ मानी जाती है। खुफिया जानकारी के अनुसार, इस पहाड़ी पर कई बड़े नक्सली कमांडर मौजूद हैं। इसी सूचना के आधार पर तीनों राज्यों की सुरक्षा बलों ने संयुक्त रूप से नक्सलियों को चारों तरफ से घेर लिया है। यह पूरा क्षेत्र पीएलजीए की बटालियन नंबर 1 का मुख्य ठिकाना माना जाता है और यह नक्सलियों का सबसे मजबूत गढ़ रहा है।
आईईडी विस्फोट में डीआरजी जवान घायल:
इस बड़े नक्सल विरोधी अभियान को अंजाम देने के लिए सुरक्षा बल पूरी तरह से सतर्क हैं। इसी दौरान, आज सुबह गलगम से कर्रेगुट्टा पहाड़ी की ओर जा रहा जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) का एक जवान इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) की चपेट में आ गया। जवान का पैर आईईडी पर पड़ने के कारण विस्फोट हो गया, जिससे उसके दोनों पैरों में चोटें आई हैं। घायल जवान का सीआरपीएफ कैंप गलगम में प्राथमिक उपचार चल रहा है।
इस बीच, माओवादियों ने एक पर्चा जारी कर इस नक्सल विरोधी अभियान को रोकने की मांग की है। नक्सलियों के उत्तर पश्चिम बस्तर ब्यूरो के प्रभारी रूपेश द्वारा जारी एक प्रेस नोट में, माओवादियों ने कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में चल रहे ऑपरेशन को बंद करने और शांति वार्ता शुरू करने का आह्वान किया है। नक्सलियों की शांति वार्ता की पेशकश पर मुख्यमंत्री साय ने एक बार फिर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि नक्सलियों को पहले हिंसा छोड़नी होगी।