
रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने एक गंभीर मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए एक ट्रेनी महिला सब-इंस्पेक्टर (SI) को नारी निकेतन भेजने का आदेश दिया है। आयोग ने यह फैसला पीड़िता की शिकायत पर सुनवाई के बाद सुनाया है। आयोग ने अपने निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा है कि कानून की जानकार होने के बावजूद ट्रेनी महिला एसआई शिकायतकर्ता महिला और उसके बच्चों को लगातार परेशान कर रही है। इसके साथ ही, आयोग ने इस ट्रेनी एसआई की पुलिस प्रशिक्षण पर रोक लगाने के लिए पुलिस महानिदेशक (DGP) को एक पत्र भी भेजने का निर्णय लिया है।
आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस प्रकरण में शिकायतकर्ता महिला ने आयोग को बताया कि उसके पति के किसी अन्य महिला के साथ अवैध संबंध हैं और उसने शिकायतकर्ता से विधिवत तलाक लिए बिना ही दूसरी शादी कर ली है। आयोग ने जब दूसरी महिला के मोबाइल फोन की जांच की, तो उसमें शिकायतकर्ता के पति और दूसरी महिला की आपत्तिजनक स्थिति में तस्वीरें मिलीं, जिससे इस बात की पुष्टि हुई कि शिकायतकर्ता के पति और दूसरी महिला ने गैरकानूनी रूप से दूसरा विवाह किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि वर्तमान में यह दूसरी महिला पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में सब-इंस्पेक्टर के पद के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है।
एक अन्य मामले में, आयोग ने एक बुजुर्ग महिला की शिकायत पर सुनवाई की। इस बुजुर्ग महिला ने आयोग को बताया कि उसे उसी के घर से निकाल दिया गया है। इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए आयोग ने प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे बुजुर्ग मां को 15 दिनों के भीतर सम्मानपूर्वक उनके घर वापस करें।
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और सदस्यगण लक्ष्मी वर्मा व सरला कोसरिया ने गुरुवार को रायपुर स्थित आयोग के कार्यालय में महिलाओं के उत्पीड़न से संबंधित विभिन्न प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर यह 309वीं और रायपुर जिले में 151वीं जनसुनवाई थी।
एक अन्य मामले में, एक शिकायतकर्ता महिला ने बताया कि अनावेदक ग्राम पंचायत सचिव उसे आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा रहा है और उसके पति के साथ मिलीभगत करके दस्तावेजों को रोक रहा है। आयोग की समझाइश के बाद, अनावेदक सचिव ने यह स्वीकार किया कि उसने जानबूझकर शिकायतकर्ता को परेशान किया और पिछले छह महीनों से उसे घुमा रहा है। शासकीय सेवा में होने के बावजूद, उसने अपने पद की जिम्मेदारी और गंभीरता को ताक पर रखकर शिकायतकर्ता के पति का साथ दिया और शासकीय सेवा नियमों का उल्लंघन किया। आयोग की कड़ी फटकार के बाद, अनावेदक सचिव ने शिकायतकर्ता को तुरंत दस्तावेज उपलब्ध कराने की सहमति दी। आयोग ने चेतावनी दी कि यदि अनावेदक सचिव दस्तावेज नहीं देता है, तो उसकी सेवा समाप्ति की अनुशंसा की जाएगी।
जनसुनवाई के दौरान धोखाधड़ी की शिकायत पर भी एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया। इस मामले में दो शिकायतकर्ताओं ने एक ही महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। दोनों शिकायतकर्ताओं ने अनावेदिका पर धोखाधड़ी करने और पैसे वापस न करने का आरोप लगाया था। पहली शिकायतकर्ता ने बताया कि अनावेदिका ने उसके और उसके पति को रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर उनसे 9 लाख रुपये लिए थे। वहीं, दूसरी शिकायतकर्ता ने बताया कि अनावेदिका ने उससे 5 लाख रुपये लिए हैं। अनावेदिका स्वयं रेलवे में वेल्डिंग का काम करती है और अनुकंपा नियुक्ति पर कार्यरत है। दोनों पक्ष पड़ोसी हैं, और अनावेदिका ने पड़ोसी होने का फायदा उठाकर धोखे से पैसे लिए और वापस नहीं कर रही है। आयोग ने अनावेदिका को निर्देश दिया कि वह अपने सभी दस्तावेजों के साथ आयोग में उपस्थित हो, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की यह सक्रियता और त्वरित कार्रवाई महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उत्पीड़न को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेष रूप से, एक कानून प्रवर्तन एजेंसी में प्रशिक्षण ले रही महिला अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई यह संदेश देती है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और यदि कोई कानून का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।