
सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों के लिए “Golden Hour” के भीतर कैशलेस इलाज की योजना में देरी को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि इलाज के अभाव में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। कोर्ट ने परिवहन मंत्रालय के सचिव को 28 अप्रैल को ऑनलाइन पेश होकर जवाब देने का निर्देश दिया है। यदि योजना अब भी नहीं लाई गई, तो अवमानना की कार्यवाही हो सकती है।
नई दिल्ली: सड़क हादसों के शिकार लोगों को “Golden Hour” के दौरान कैशलेस इलाज देने की योजना में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि समय पर इलाज न मिलने के कारण लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, लेकिन सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। इस मामले में अदालत ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को 28 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि सरकार और संबंधित विभाग ने अदालत के आदेश की गंभीर अवहेलना की है क्योंकि तय समयसीमा के भीतर योजना नहीं बनाई गई। हालांकि, अदालत ने एक अंतिम अवसर देते हुए स्पष्ट किया कि यदि अब भी योजना नहीं लाई जाती है, तो अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सकती है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी 2025 को केंद्र को निर्देश दिया था कि वह 14 मार्च तक एक ऐसी योजना तैयार करे, जिसके तहत सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को “Golden Hour” के भीतर निशुल्क इलाज मिल सके। लेकिन कई अस्पतालों ने भुगतान संबंधी आशंकाओं के चलते ऐसे इलाज से इनकार किया है।
कोर्ट ने कहा था, “भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार की रक्षा करने के लिए धारा 162 में यह प्रावधान किया गया है। साथ ही, केंद्र सरकार पर यह योजना बनाने की कानूनी जिम्मेदारी भी है। यदि यह योजना लागू हो जाती है, तो कई घायल लोगों की जान बचाई जा सकती है, जो इलाज न मिलने के कारण दम तोड़ देते हैं।”