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by-Ravindra Sikarwar

आज (24 जुलाई) सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य द्वारा दायर आपराधिक अपीलों पर नोटिस जारी किया, जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें 2006 के 7/11 मुंबई ट्रेन धमाका मामले के सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया था।

महाराष्ट्र राज्य की ओर से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन.के. सिंह की पीठ को बताया कि वह उन आरोपियों को आत्मसमर्पण करने का आदेश नहीं मांग रहे हैं, जिन्हें फैसले के बाद जेल से रिहा कर दिया गया है। हालांकि, उन्होंने फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि हाई कोर्ट द्वारा फैसले में की गई कुछ टिप्पणियां MCOCA के तहत चल रहे अन्य मुकदमों को प्रभावित कर सकती हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “आपके लॉर्डशिप यह कहने पर विचार कर सकते हैं कि, फैसले पर रोक लगाई जाती है, हालांकि, उन्हें वापस जेल जाने की आवश्यकता नहीं होगी।”

पीठ ने अपने आदेश में कहा:
“हमें सूचित किया गया है कि सभी प्रतिवादियों को रिहा कर दिया गया है और उन्हें वापस जेल लाने का कोई सवाल ही नहीं है। हालांकि, कानून के प्रश्न पर सॉलिसिटर जनरल द्वारा की गई दलीलों पर ध्यान देते हुए, हम यह मानने को तैयार हैं कि विवादित फैसले को एक मिसाल के रूप में नहीं माना जाएगा। इस हद तक, विवादित फैसले पर रोक लगाई जाती है।”

21 जुलाई को, बॉम्बे हाई कोर्ट ने विशेष महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) अदालत के उस फैसले को रद्द कर दिया था, जिसमें 11 जुलाई, 2006 को मुंबई की पश्चिमी रेलवे स्थानीय लाइन पर बमों की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने के आरोप में 5 दोषियों को मौत की सजा और 7 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

मुंबई की स्थानीय लाइनों में 7 बमों के धमाके हुए थे। इन धमाकों में कुल 189 नागरिकों की जान चली गई थी और लगभग 820 निर्दोष गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिन्हें कुख्यात “7/11 मुंबई धमाकों” के नाम से भी जाना जाता है।

न्यायमूर्ति अनिल किलर और न्यायमूर्ति श्याम चांदक की पीठ ने माना कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के अपराध को स्थापित करने में विफल रहा। इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते ने की थी।

हाई कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि आरोपियों को एटीएस अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किया गया था, जो दोषियों को खोजने के दबाव में थे।

जबकि दोषी कमल अंसारी, मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख, एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी, नवीद हुसैन खान और आसिफ खान को बम लगाने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी, अन्य दोषियों – तनवीर अहमद मोहम्मद इब्राहिम अंसारी, मोहम्मद माजिद मोहम्मद शफी, शेख मोहम्मद अली आलम शेख, मोहम्मद साजिद मार्गूब अंसारी, मुज़म्मिल अताउर रहमान शेख, सुहैल महमूद शेख और ज़मीर अहमद लतीउर रहमान शेख को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

मामले का विवरण: द स्टेट ऑफ महाराष्ट्र बनाम मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख और अन्य | SLP(Crl) संख्या 10780-10791/2025

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