by-Ravindra Sikarwar
बेंगलुरु: हाल ही में बेंगलुरु के एक निवासी द्वारा ₹23 लाख के भारी-भरकम रेंटल डिपॉजिट का मामला सामने आया है, जिसने इंटरनेट पर लोगों का ध्यान खींचा है और इसे “दुनिया का सबसे लालची” जमा करार दिया जा रहा है। इस खबर ने सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश पैदा कर दिया है, जिससे शहर के किराये बाजार और मकान मालिकों की मांगों को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है।
यह मामला तब सामने आया जब एक संपत्ति लिस्टिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसमें बेंगलुरु के एक पॉश इलाके में एक अपार्टमेंट के लिए ₹23 लाख के सुरक्षा जमा की मांग की गई थी। आम तौर पर, भारत के अधिकांश शहरों में रेंटल डिपॉजिट एक से तीन महीने के किराए के बराबर होता है, लेकिन बेंगलुरु में यह अक्सर अधिक होता है, कभी-कभी 6 से 10 महीने तक भी पहुंच जाता है। हालांकि, ₹23 लाख का यह आंकड़ा सामान्य से कहीं अधिक है, जिसने कई लोगों को चौंका दिया है।
क्यों भड़का इतना गुस्सा?
इस विशाल डिपॉजिट ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
- अत्यधिक राशि: ₹23 लाख की राशि इतनी बड़ी है कि यह एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए घर खरीदने के डाउन पेमेंट के बराबर हो सकती है। यह राशि कई लोगों को अनुचित और शोषणकारी लग रही है।
- किरायेदारों पर बोझ: इतनी बड़ी राशि ब्लॉक होने का मतलब है कि किरायेदार की पूंजी का एक बड़ा हिस्सा मकान मालिक के पास अटका रहेगा। यह किरायेदार के लिए वित्तीय बोझ पैदा करता है, खासकर जब वे एक नए शहर में जा रहे हों और अन्य शुरुआती खर्चों का सामना कर रहे हों।
- बाजार में विकृति: आलोचकों का तर्क है कि इस तरह की अत्यधिक जमा राशि किराये के बाजार को विकृत करती है और केवल अत्यंत धनी व्यक्तियों को ही कुछ क्षेत्रों में रहने की अनुमति देती है, जिससे आम लोगों के लिए किफायती आवास की कमी होती है।
- मकान मालिकों का लालच?: कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इसे मकान मालिकों के “लालच” के रूप में देखा है, जो बेंगलुरु के तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट बाजार का फायदा उठा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर बहस:
यह मुद्दा जल्द ही सोशल मीडिया पर बहस का विषय बन गया। लोगों ने अपने अनुभवों को साझा किया, जहां उन्हें बेंगलुरु में असामान्य रूप से उच्च जमा राशि का सामना करना पड़ा था। कुछ लोगों ने बताया कि कैसे उन्हें एक साल या उससे अधिक के किराए के बराबर डिपॉजिट देना पड़ा।
एक ट्विटर यूजर ने टिप्पणी की, “बेंगलुरु का रेंटल मार्केट अब एक मजाक बन गया है। ₹23 लाख का डिपॉजिट? यह तो सरासर लूट है।” वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, “यह सिर्फ लालच नहीं है, यह एक ऐसी व्यवस्था है जो किरायेदारों का शोषण करती है।”
हालांकि, कुछ लोगों ने मकान मालिकों का बचाव भी किया, यह तर्क देते हुए कि बेंगलुरु में संपत्ति की कीमतें और मांग बहुत अधिक है, और उच्च जमा राशि मकान मालिकों को संभावित नुकसान या किरायेदार द्वारा अनुबंध के उल्लंघन से सुरक्षा प्रदान करती है।
आगे क्या?
यह घटना बेंगलुरु के किराये बाजार में पारदर्शिता और विनियमन की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। उच्च रेंटल डिपॉजिट का मुद्दा अक्सर किरायेदारों के लिए एक बड़ी बाधा रहा है, और इस नवीनतम घटना ने इस समस्या को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस सार्वजनिक आक्रोश से भविष्य में मकान मालिकों की नीतियों या सरकारी नियमों में कोई बदलाव आता है।