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by-Ravindra Sikarwar

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ 13 साल की एक नाबालिग बच्ची ने अपने ही अपहरण की झूठी साजिश रची और अपने परिवार से 15 लाख की फिरौती की मांग की। पुलिस जांच में बच्ची ने खुलासा किया कि उसने यह सब घर पर बार-बार डांट पड़ने से बचने के लिए किया था। यह घटना न केवल पुलिस और परिवार को घंटों परेशान करती रही, बल्कि समाज में बच्चों पर बढ़ते दबाव और उसके परिणामों पर भी गंभीर सवाल उठाती है।

घटना का विस्तृत विवरण:
पुलिस के अनुसार, मामला तब सामने आया जब बच्ची के माता-पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उनकी बेटी लापता हो गई है। इसके कुछ ही समय बाद, उन्हें एक फिरौती नोट मिला, जिसमें उनकी बेटी को छुड़ाने के बदले ₹15 लाख की मांग की गई थी। इस नोट को बच्ची के घर पर ही छोड़ा गया था, जिससे पुलिस को शुरू से ही कुछ संदेह हुआ।

  • संदिग्ध नोट: फिरौती नोट की लिखावट और तरीका पुलिस को थोड़ा अटपटा लगा। आम तौर पर अपहरणकर्ता ऐसी चालाकी नहीं दिखाते, जिससे उनके पकड़े जाने का खतरा बढ़े। पुलिस ने नोट की बारीकी से जांच की।
  • पुलिस की त्वरित कार्रवाई: शिकायत मिलते ही ग्वालियर पुलिस हरकत में आ गई। उन्होंने बच्ची की तलाश के लिए टीमें गठित कीं और आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू किए। साइबर टीम ने भी सक्रियता से काम किया।
  • सीसीटीवी से सुराग: पुलिस को एक सीसीटीवी फुटेज में बच्ची घर से निकलते हुए और फिर एक सुनसान जगह पर जाते हुए दिखाई दी। इस फुटेज ने पुलिस के संदेह को और मजबूत किया कि यह कोई सामान्य अपहरण का मामला नहीं है।
  • लोकेशन ट्रैक: तकनीकी निगरानी और मुखबिरों से मिली जानकारी के आधार पर, पुलिस आखिरकार बच्ची तक पहुंचने में कामयाब रही। उसे शहर के बाहरी इलाके में एक सुनसान जगह से बरामद किया गया, जहाँ वह छिपी हुई थी।

बच्ची का कबूलनामा: डांट से बचने की कोशिश:
पुलिस द्वारा पूछताछ किए जाने पर, बच्ची ने अपनी पूरी कहानी कबूल कर ली। उसने बताया कि वह अपने परिवार से, खासकर माता-पिता से, अक्सर मिलने वाली डांट-फटकार से तंग आ चुकी थी। उसे लगता था कि घर पर उसे आजादी नहीं मिलती और उसे लगातार पढ़ाई या अन्य बातों के लिए डांटा जाता है। इस मानसिक दबाव से बचने और परिवार का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए उसने यह झूठी साजिश रची।

बच्ची ने स्वीकार किया कि फिरौती का नोट उसी ने लिखा था और उसने खुद को छिपाने की योजना बनाई थी ताकि परिवार परेशान हो और उसे डांटना बंद कर दे। ₹15 लाख की फिरौती की रकम शायद उसने केवल मामले को गंभीर दिखाने के लिए लिखी थी।

समाज और अभिभावकों के लिए सबक:
यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है:

  • बच्चों पर दबाव: क्या हम अपने बच्चों पर इतना दबाव डाल रहे हैं कि वे ऐसे चरम कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं? पढ़ाई, व्यवहार या अन्य उम्मीदों को लेकर बच्चों पर अनावश्यक दबाव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • संचार की कमी: परिवारों में बच्चों के साथ खुलकर बातचीत और भावनाओं को साझा करने की कमी भी ऐसे व्यवहार को जन्म दे सकती है। बच्चों को यह महसूस होना चाहिए कि वे अपनी समस्याओं और चिंताओं को बिना डर के अपने माता-पिता के साथ साझा कर सकते हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य: यह मामला बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को भी रेखांकित करता है। बच्चों में तनाव, चिंता और अवसाद के लक्षणों को पहचानना और समय रहते उनकी मदद करना महत्वपूर्ण है।

पुलिस ने बच्ची को उसके परिवार को सौंप दिया है और उन्हें परामर्श देने की सलाह दी है। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि बच्चों की भावनात्मक जरूरतों को समझना और उन्हें एक सहायक वातावरण प्रदान करना कितना महत्वपूर्ण है, ताकि वे समस्याओं से भागने के बजाय उनका सामना करना सीखें।

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