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ग्वालियर। नगर की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ग्वालियर साहित्य संस्थान के तत्वावधान में भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान में अखिल भारतीय लोकमंगल साहित्य सम्मान समारोह आयोजित किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश तोमर थे। अध्यक्षता डॉ. भगवान स्वरूप चैतन्य ने की। जबकि वरिष्ठ पत्रकार व प्रमुख समाज सेवी डॉ. केशव पाण्डेय, आईआईटीटीएम के डायरेक्टर डॉ. आलोक शर्मा, जेएएच के पूर्व डीन डॉ. अशोक मिश्रा एवं जीवाजी विश्वविद्यालय दूरस्थ संस्थान के डायरेक्टर प्रो. हेमंत शर्मा विशिष्ट अतिथि थे।
अतिथियों ने साहित्य के मौन साधक डॉ. ब्रजेश शर्मा को उनकी हाल ही में प्रकाशित शोध ग्रंथ “ नवगीत : शिल्प एवं जीवन मूल्य“ के लिए अखिल भारतीय लोकमंगल साहित्य सम्मान-2024 से सम्मानित किया। इस सम्मान के लिए उनका चयन लोकमंगल पत्रिका के निर्णायक मंडल ने एकमत से किया है।
इस दौरान कीर्तिशेष पंडित श्रीराम शर्मा और डॉ. ब्रजेश शर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित लोकमंगल पत्रिका के विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया।
अध्यक्षता कर रहे डॉ. चैतन्य ने डॉ. शर्मा के साहित्यिक योगदान व उनके शोधग्रंथ के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रो. चंद्रशेखर बरुआ ने सम्मानित साहित्य साधक डॉ. शर्मा का समग्र परिचय प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया।
विजयकृष्ण योगी ने सम्मान पत्र का वाचन किया और रामप्रकाश नूतन ने लोकमंगल की समीक्षा प्रस्तुत की।
अपने सम्मान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए डॉ.शर्मा ने अपने गुरुजनों, परिजनों, व सभी आत्मीय शुभचिंतकों को यह सम्मान समर्पित किया और अपने शोधग्रन्थ के रचनाकाल के जुनून का भावविभोर होकर वर्णन किया।
अतिथियों ने शर्मा की रचनाधर्मिता की विशेषताओं को बताते हुए उनके शोध कार्य को भविष्य के शोधकर्ताओं के लिए एक दिशा-निर्देशक ग्रन्थ कहा।
इससे पूर्व भव्या व भाविनी दोनों बहनों ने मधुर वाणी में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। डॉ. ब्रजेश शर्मा एवं प्रो. हेमन्त शर्मा ने डॉ. लालजी द्वारा संपादित पुस्तक “राजेश की व्यंग्य कविताएं“ का विमोचन भी किया। कार्यक्रम का संचालन कवयित्री कादम्बरी आर्य ने तथा आभार व्यक्त प्रवीण कम्ठान ने किया।
इस मौके पर डॉ. एसएम तिवारी, डॉ. अनिल कुमार, राकेश अचल, देव श्रीमाली, वास्तुविद प्रभात भार्गव, श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलेज के संचालक हरेन्द्र शर्मा, अविनाश शर्मा, प्रो. सुरेश सचदेवा, दिनेश शर्मा, प्रो. आभा मिश्रा, महेशदत्त पाराशर एवं विनीता प्रदीप चौबे प्रमुख रूप से मौजूद थे।
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समाज में सौहार्द पैदा करता है साहित्य
मुख्य अतिथि श्री तोमर ने कहा कि व्यक्ति जब भावनाओं के सागर में डूब जाता है, तब उसके हृदय से गीत और कविता अर्थात साहित्य जन्म लेता है। यही साहित्य समाज को परस्पर सौहार्द्र और अपनेपन के भाव से जोड़ता है। तब व्यक्ति स्वयं को समाज का अभिन्न अंग मानकर समाज के हित को ही अपना हित मानता है।
तोमर ने डॉ. शर्मा के शोधग्रंथ की प्रामाणिकता व उसकी साहित्यिक उपादेयता की सराहना करते हुए अपना आशीर्वाद प्रदान किया और कहा कि उनका यह ग्रंथ भावी पीढ़ी के लिए वरदान साबित होगा।

By admin

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