महाकुंभ भगदड़: क्या प्रशासन की व्यवस्था है विश्वास के योग्य?
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नई दिल्ली:
क्या महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ कोई साज़िश थी? उत्तर प्रदेश एसटीएफ अब इस एंगल से भी घटना की जांच कर रही है। सूत्रों के अनुसार, भगदड़ के समय दो ऐसे व्यक्तियों ने दावा किया कि भगवा झंडा लेकर कुछ लोग अचानक भीड़ में घुस आए थे, जिसके कारण भगदड़ की स्थिति पैदा हुई। एसटीएफ अब उस दिन के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है, ताकि इस आरोप की पुष्टि की जा सके। इसके अलावा, जांच में यह पाया गया है कि उस समय एक्टिव कुछ मोबाइल फोन लगातार बंद थे। पुलिस और एसटीएफ दोनों इस मामले में साज़िश के एंगल से जांच कर रहे हैं। हालांकि, यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने अभी तक साज़िश की बात से इंकार किया है और इसे मात्र एक दुर्घटना करार दिया है।

महाकुंभ भगदड़: क्या प्रशासन की व्यवस्था है विश्वास के योग्य?

महाकुंभ में अब हालात कैसे हैं?
मौनी अमावस्या के दिन होने वाले अमृत स्नान से पहले महाकुंभ में एक भीषण भगदड़ मच गई थी, जिसमें 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 90 से अधिक लोग घायल हुए थे, जिनमें से कुछ की स्थिति गंभीर थी। इस हादसे के बाद, महाकुंभ के प्रति लोगों में डर और शंका का माहौल बन गया था। लेकिन, कुंभ मेला क्षेत्र में मौजूद श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्हें अब कोई डर महसूस नहीं हो रहा। महाराष्ट्र से आई एक श्रद्धालु, जाह्नवी दुबे ने बताया, “यहां की व्यवस्था बहुत अच्छी है। शुरू में जब हम कुंभ आने का सोच रहे थे, तो लोगों ने हमें डराने की कोशिश की थी और कहा था कि कुंभ में जाना सुरक्षित नहीं है। लेकिन अब जब हम यहां आए हैं, तो सब कुछ बहुत व्यवस्थित और सुरक्षित है। महिला सुरक्षा के मामले में भी बहुत अच्छा प्रबंध किया गया है। मैं कहूंगी कि लोगों को यहां जरूर आना चाहिए।”

हालांकि, हादसे के बावजूद श्रद्धालुओं का यह मानना है कि सरकार और प्रशासन ने कुंभ मेला के आयोजन के दौरान सुरक्षा और व्यवस्थाओं को सही तरीके से संभाला है, और यहां आने के लिए अब किसी प्रकार की चिंता नहीं है।

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