
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में शनिवार को कठुआ जिले में श्रीलंका के दिग्गज क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन को जमीन आवंटित करने का मुद्दा उठा। कुछ विधायकों ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाए।
मुरलीधरन की सेवलॉन बेवरेजेज इकाई उन कई बड़े औद्योगिक घरानों में शामिल है, जिन्हें पिछले साल कठुआ के भागथली औद्योगिक एस्टेट में जमीन आवंटित की गई थी। इससे जमीन पर 21,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ।
सूत्रों ने बताया कि सेवलॉन बेवरेजेज को कठुआ में 1,600 करोड़ रुपये की लागत से एल्युमीनियम केन बनाने और पेय पदार्थ भरने की इकाई स्थापित करने के लिए 206 कनाल (25.75 एकड़) जमीन आवंटित की गई है। पिछले साल जून में विभाग के साथ लीज डीड पर हस्ताक्षर किए गए थे।
मुरलीधरन का नाम लिए बिना सीपीआई (एम) विधायक एम वाई तारिगामी ने प्रश्नकाल के दौरान कहा कि “एक श्रीलंकाई क्रिकेटर को जम्मू-कश्मीर में जमीन आवंटित की गई है। यह आवंटन कैसे किया गया?’’
एक गैर-भारतीय क्रिकेटर को जम्मू-कश्मीर में जमीन आवंटित किए जाने पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस विधायक जी ए मीर ने कहा, “यह एक गंभीर मुद्दा है और इस पर गौर किए जाने की जरूरत है।”
विधायकों की चिंताओं का जवाब देते हुए कृषि मंत्री जावेद अहमद डार ने कहा कि सरकार को इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि एक पूर्व श्रीलंकाई क्रिकेटर को औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए यूटी में “मुफ्त” जमीन प्रदान की गई थी और वह इसकी जांच करेंगे।
उन्होंने कहा, “यह राजस्व विभाग से जुड़ा मामला है। हमारे पास इसकी कोई जानकारी नहीं है, और हम तथ्यों को जानने के लिए इसकी जांच करेंगे।”
इससे पहले तारिगामी के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा और समाज कल्याण विभाग मंत्री साकेन मसूद (इटू) ने कहा था कि भूमिहीन परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत आवासीय घरों के निर्माण के लिए पांच मरला (1,355 वर्ग फीट) भूमि उपलब्ध कराई जा रही है।
उन्होंने बताया कि भूमि राजस्व विभाग द्वारा सत्यापन के अधीन प्रदान की जाती है, उन्होंने कहा कि भूमिहीन पृष्ठभूमि के विस्तारित परिवारों को पात्रता और समय-समय पर जारी की जाने वाली योजना के दिशानिर्देशों के अधीन भूमि आवंटन के लिए विचार किया जा सकता है।
तारिगामी ने मंत्री के इस जवाब पर आपत्ति जताई कि जिन लोगों की भूमि अधिग्रहण के अधीन है, उन्हें मुआवजा भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित किया जाता है, जो जम्मू-कश्मीर में लागू है। इस पर भाजपा विधायक ने एक अदालत के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि राज्य की भूमि पर कब्जा करने वाले लोगों को भी मुआवजा दिया जाना चाहिए।
इस पर मीर ने कहा कि राज्य की भूमि की बात तो दूर, पिछले कुछ वर्षों में लोगों को बिना किसी मुआवजे के उनकी “स्वामित्व वाली” भूमि भी छीन ली गई है।