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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सैन्य नेतृत्व से तेजी से उभरते भू-राजनीतिक खतरों और अवसरों के लिए तैयार रहने का आग्रह किया। उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब एलएसी से सैनिकों की वापसी अंतिम चरण में है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को सैन्य नेतृत्व से तेजी से उभरते भू-राजनीतिक खतरों और अवसरों के लिए तैयार रहने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावी ढंग से मजबूत करने के लिए सरकार के सभी तंत्रों के अधिक समग्र दृष्टिकोण के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। जयशंकर ने सैन्य कमांडर सम्मेलन-2024 के दूसरे चरण के समापन दिवस पर दिए संबोधन में यह टिप्पणी की। इस सम्मेलन में भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीमावर्ती क्षेत्रों और भीतरी इलाकों की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।

यह सम्मेलन ऐसे समय में हुआ, जब भारत और चीन के बीच बनी एक अहम सहमति के तहत पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले दो बिंदुओं-डेमचोक और डेपसांग से सैनिकों की वापसी अंतिम चरण में है। जयशंकर के संबोधन का विषय ‘वैश्विक और भू-राजनीतिक पेचीदगियां : भारत के लिए अवसर और सशस्त्र बलों से उम्मीदें’ था। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने विदेश मंत्री के साथ मंच साझा किया।

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