ईरान-इजरायल में बढ़ता तनाव, इरायल-हमास, इजरायल-लेबनान में हमले, रूस-युक्रेन युद्ध का लंबा खिंचना यानी वैश्विक स्तर पर जो माहौल बन रहा है, उससे तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ रहा है।
ईरान-इजरायल में बढ़ता तनाव, इरायल-हमास, इजरायल-लेबनान में हमले, रूस-युक्रेन युद्ध का लंबा खिंचना यानी वैश्विक स्तर पर जो माहौल बन रहा है, उससे तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ रहा है। अगर ऐसी स्थिति आती है तो भारत की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा असर दिखाई देगा। आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया के बाकी देशों पर काफी हद तक निर्भर है। ऐसे में भारत इस संकट से कैसे निपटेगा। आइए पढ़ें अरुण चट्टा की यह रिपाेर्ट…
1. कच्चे तेल का प्रबंध
भारत में तेल की वर्तमान खपत 4.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन की है। सरकारी कंपनियों के पास 64.5 दिन की मांग के अनुरूप कच्चे तेल व पेट्रोलियम उत्पाद के भंडार करने की क्षमता है। इसको बढ़ाकर 74 दिन किया गया है और सरकार 6.5 मिलियन मीट्रिक टन की अतिरिक्त भंडार क्षमता को विकसित करने पर काम कर रही। इसके विकसित होने पर 12 दिन का अतिरिक्त तेल भंडार उपलब्ध होगा। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार सदस्य देश के पास 90 दिन के बराबर तेल भंडार होना चाहिए। बदलते परिवेश में भारत करीब 60 फीसदी कच्चा तेल रूस से आयात कर रहा है। जबकि, शेष खाड़ी देशों से आयात किया जा रहा है।