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प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 का भव्य समापन महाशिवरात्रि के शुभवसर पर संपन हुआ। यह 45 दिनों तक चलने वाला विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और धार्मिक आयोजन था, जिसमें लगभग 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई।

महाकुंभ 2025 ने रचा एक नया कीर्तिमान
इस आयोजन ने कई कीर्तिमान स्थापित किए, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। इस महाकुंभ में 50 लाख से अधिक विदेशी श्रद्धालु पहुंचे, और यह आंकड़ा अमेरिका की आबादी से दोगुना तथा 193 देशों की कुल आबादी से भी अधिक था। इस महाकुंभ को भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति का परिचायक माना जा रहा है।

प्रशासन की शानदार सुरक्षा व्यवस्था
महाकुंभ के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी विशेष प्रबंध किए गए थे। इसमें 37,000 पुलिसकर्मियों, 14,000 से अधिक होमगार्ड्स और सीआरपीएफ के जवानों सहित 70,000 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे। मेले के सफल आयोजन और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर श्रद्धालुओं ने प्रशासन की सराहना की।

महाकुंभ में बने कई रिकॉर्ड
इस बार महाकुंभ में न केवल श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, बल्कि स्वच्छता और अन्य पहलुओं में भी कई विश्व रिकॉर्ड बनाए गए।

स्वच्छता अभियान: 19,000 सफाई कर्मियों ने एक साथ सफाई करके नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। 2019 के कुंभ में यह संख्या 10,000 सफाई कर्मियों की थी।

गंगा सफाई: चार अलग-अलग स्थानों पर 360 लोगों द्वारा गंगा सफाई का रिकॉर्ड बना।

हैंड पेंटिंग: 10,102 लोगों द्वारा एक साथ हैंड पेंटिंग करने का रिकॉर्ड बना, जो पहले 7,660 लोगों का था।

प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति
महाकुंभ में न केवल आम श्रद्धालु बल्कि देश-विदेश की कई नामी हस्तियां भी शामिल हुईं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, फिल्मी सितारे, खेल और उद्योग जगत की हस्तियां इस भव्य आयोजन का हिस्सा बने और संगम में आस्था की डुबकी लगाई।

CM योगी की मुख्य भूमिका
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान दिया और 45 दिनों में 10 बार प्रयागराज का दौरा किया। इसके अलावा, उन्होंने लखनऊ और गोरखपुर के नियंत्रण कक्षों से भी पूरे आयोजन पर नजर बनाए रखी।

महाकुंभ 2025: स्वच्छता और श्रद्धा का संगम
इस बार महाकुंभ साफ-सफाई और बेहतर प्रबंधन के लिए भी खास रहा। हालांकि, मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई थी, लेकिन इसके बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था अटूट बनी रही।

महाकुंभ 2025 ने भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर स्थापित किया और इस ऐतिहासिक आयोजन को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में कई नए कीर्तिमानों के लिए दर्ज किया गया।

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